प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को भंग करने को 24 मई 2017 को मंजूरी दी।
एफआईपीबी की व्यवस्था में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई संबंधी आवेदनों पर एफआईपीबी द्वारा विचार किया जाता रहा जिसमें भारत सरकार के विभिन्न सचिव शामिल थे। लेकिन मंत्रिमंडल के इस निर्णय के बाद अब एफडीआई आवेदनों को संबंधित उद्योग के प्रशासनिक मंत्रालयों द्वारा स्वतंत्र रूप से निपटाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एफआईपीबी का गठन 1990 के दशक की शुरुआत में प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन किया गया था। इसका उद्देश्य विदेशी निवेश को बढावा देना था। 1996 में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया और और से औद्योगिक नीति एवं संवर्धन बोर्ड के अंतर्गत लाया गया। साल 2003 में इसे आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के दायरे में लाया गया।