सीरिया में चार अप्रैल 2017 को हुए रासायनिक हमले ने सीरियाई संकट को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया। इस हमले के बाद बढ़ते दबाव के बीच अमेरिका ने सीरिया पर मिसाइल हमले किए जबकि रूस असद सरकार के पक्ष में खड़ा नजर आया। दुनिया एक बार फिर दो धड़ों में बंटती नजर आई।
दरअसल सीरिया में इस रासायनिक हमले की खबरें पहले पहल कार्यकर्ताओं और निगरानी समूहों के हवाले से सामने आईं। प्रभावित बच्चों की भयावह तस्वीरों ने पूरी दुनिया को हिला दिया। इन समूहों के अनुसार अलेप्पो को होम्स से जोड़ने वाली सड़क पर खान शेखों नाम के कस्बे पर रासायनिक बम हमले हुए। इसमें कम से कम 80 लोग मारे गए। इनमें से ज्यादातर बच्चे-महिलाएं रहे। हमले के बाद बच्चों की तस्वीरें तो भयावह थीं।
इन हमलों का आरोप सीरिया की सरकारी सेनाओं पर गया। जिस कस्बे में उक्त हमले हुए वह इलाका पूरी तरह विद्रोही सेनाओं के कब्जे में है। सीरियाई मानवाधिकार एजेंसी के अनुसार राष्ट्रपति बशर अल असद की सीरियाई सेना और उसके सहयोगी रूस के विमान इस इलाके में बमबारी कर रहे थे। घायलों का इलाज करने वाले राहत कर्मियों और उपचार केंद्रों पर भी हमले हुए।
सीरिया की असद सरकार पर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप कई बार लगता रहा है। लेकिन इस बार शायद मामला उसके हाथ से निकल गया। हमले पर बवाल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसकी निंदा की और कहा कि कि इसमें कोई शक नहीं कि यह जघन्य अपराध बशर अल असद की सरकार ने किया है। हमले की निंदा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई। वहीं सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने दोहराया कि उनकी सेना ने प्रभावित इलाके में बमबारी नहीं की और उसने कभी रासायनिक गैसों का इस्तेमाल हमलों में नहीं किया। रूस ने भी सीरिया का बचाव किया और कहा कि उसने ऐसा कोई हमला नहीं किया।
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थन की अपनी घोषित नीति को पलटते हुए अमेरिका ने उसके सैनिक ठिकाने पर हमला किया। अमेरिका के टामहाक प्रक्षेपास्त्रों ने शायरात हवाई अड्डे को निशाना बनाया। भूमध्यसागर में तैनात दो अमरीकी लड़ाकू जहाजों से यह हमला किया गया। अमेरिका का मानना है कि सीरिया के विद्रोहियों वाले इलाके में रासायनिक हमले इसी एयर बेस से किए गए। हमलों के बाद ट्रंप ने टीवी पर अपने संदेश में कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति असद एक तानाशाह हैं जिन्होंने मासूम लोगों पर रासायनिक हथियारों से हमला किया। सेना का कहना है कि उसने 50 टामहाक मिसाइल दागीं।
बताया गया कि अमेरिकी हवाई हमलों में चार बच्चों सहित कम से कम नौ लाग मारे गए। अमेरिकी कार्रवाई से नाराज रूस ने उसके साथ सीरिया में हवाई संघर्ष रोकने के एक समझौते को रद्द कर दिया और कहा कि वह सीरियाई वायुसेना की सुरक्षा को चाकचौबंद करेगा।
हमले पर बवाल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने निंदा करते हुए कहा है कि इसमें कोई शक नहीं कि यह जघन्य अपराध बशर अल-असद की सरकार ने किया है। संग्दिध रासायनिक हमले को अमेरिका के राष्ट्रपति ने भयानक और अवर्णनीय करार देते हुए इसे मानवता पर आघात बताया। हमले की निंदा के लिए पांच अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक में इस मुद्दे पर बहस हुई तो पश्चिमी देशों ने सीरियाई सरकार की कड़ी निंदा की। ब्रिटेन और फ्रांस चाहते थे कि रासायनिक हमले की जांच हो।
वहीं रूस ने सीरियाई सरकार का बचाव किया। रूस ने कहा कि उसके सीरियाई सहयोगी को इस हमले के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। वहीं सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर कहा कि उनकी सेना ने प्रभावित इलाके में बमबारी नहीं की और उसने कभी रासायनिक गैसों का इस्तेमाल हमलों में नहीं किया। उधर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने हमलों को ‘नपी तुली प्रतिक्रिया’ बताया और कहा कि अमेरिका ‘और कुछ भी करने को तैयार है।’
रूस का वीटो: अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 12 अप्रैल 2017 को सीरिया पर एक प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किया। रूस ने इस पर अपने वीटो के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए रोक लगा दी।
प्रस्ताव में सीरिया में विद्रोहियों से मांग की जा रही थी कि वे उनके ठिकाने पर हाल ही में हुए रासायनिक हमले की जांच में सहयोग करें।
रोचक तो यह है कि इससे कुछ ही घंटे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने संकेत दिया था कि ट्रंप प्रशासन सीरिया में लड़ाई खत्म करने के लिए रूस के साथ काम करना चाहता है।