दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजिन कंपनी गूगल ने 10 अगस्त, 2015 दिन सोमवार को अचानक घोषणा की कि वह अपने परिचालन का पुनर्गठन कर रही है. इसके तहत गूगल व इसकी सारी अन्य गतिविधियां एक नयी अंशधारक कंपनी अल्फाबेट के अधीन चली जाएंगी और गूगल के संस्थापक लैरी पेज इसके मुख्य कार्यकारी होंगी. लेकिन इस घोषणा में एक बड़ी घोषणा भारत में जन्मे सुंदर पिचाई को गूगल का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनाने की थी. कंपनी ने कहा कि गूगल के वाइस प्रेजीडेंट पिचाई अब सीईओ यानी कर्ता धर्ता होंगे.
यह अप्रत्याशित तो नहीं लेकिन अचानक की गई घोषणा थी. एक साल पहले यानी 2014 में ऐसी अटकलें थीं कि पिचाई माइक्रोसाफ्ट के सीईओ हो सकते हैं. हालांकि यह सिर्फ अटकलबाजी रही और भारतवंशी सत्य नाडेला माइक्रोसाफ्ट के सीईओ बने. खैर नाडेला व पिचाई में कई समानताएं है जैसे कि दोनों भारत में जन्में हैं. दोनों क्रिकेट के बहुत बड़े वाले शौकीन हैं. पिचाई अपनी स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे.
सुंदर पिचाई का पूरा नाम सुंदरराजन पिचाई (Sundararajan Pichai) है. उनका जन्म 12 जुलाई 1972 को रघुनाथ पिचाई व लक्ष्मी पिचाई के यहां चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ. पिचाई के पिता इलेक्ट्रिक इंजीनियर रहे और उन्हें बचपन से ही गैजेट्स का शौक है.
जहां तक पढाई का सवाल है तो पिचाई ने दसवीं तक की पढाई चेन्नई के अशोक नगर स्थित जवाहर विद्यालय में की। 12वीं तक वे वाना वाणी मैट्रिक्यूलेशन स्कूल में पढे. इसके बाद वे आईआईटी खड़गपुर से पढे. यानी वहां से इंजीनियरिंग की. उन्होंने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी तथा द वार्टन स्कूल में भी अध्ययन किया. जहां तक परिवार की बात है तो उनकी पत्नी अंजलि पिचाई है. अंजलि मुंबई की हैं और वे उनसे आईआईटी खड़गपुर में ही मिले थे. उनके एक बेटी काव्या व बेटा किरण है. वैसे उनका मूल नाम पी. सुंदरराजन था. अमेरिका में उन्होंने पी को पूरा पिचाई कर दिया और सुंदरराजन को सुंदर. इस तरह से नया नाम सुंदर पिचाई बना. वैसे बचपन में वे अपनी बेहतरीन याददाश्त के लिए भी जाने जाते हैं.
पिचाई 2004 में गूगल से जुड़े और उनकी अगुवाई में कंपनी ने अनेक महत्वपूर्ण उत्पाद पेश किए जिनमें गूगल क्रोम, क्रोम ओएस, गूगल ड्राइव व एंड्रायड शामिल है. पिचाई को 24 अक्तूबर 2014 में उत्पाद प्रमुख बनाया गया था. वे वरिष्ठ उपाध्यक्ष उत्पाद बने और दस अगस्त 2015 को कंपनी ने घोषणा की कि वे गूगल के सीईओ यानी मुख्य कार्याधिकारी होंगे.
हां, फोर्च्यून पत्रिका ने अक्तूबर 2014 में गूगल में पिचाई के तेजी से आगे बढने को रेखांकित किया और उन्हें मृदुभाषी प्रबंधक बताया जो आमतौर पर पर्दे के पीछे रहते हैं.