टेली-लॉ देश के ग्रामीण इलाकों में कानूनी सहायता प्रदान करने की केंद्र सरकार की योजना है। इसका कार्यान्वयन विधि व न्याय मंत्रालय तथा इलेक्ट्रोनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मिल कर रहे हैं। इसकी शुरुआत 11 जून 2017 को गई।
टेली-ला की प्रायोगिक परियोजना उत्तर प्रदेश और बिहार में 1000 सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के जरिए संचालित की जा रही है। इस कार्यक्रम के जरिए 1000 महिला अर्द्ध-विधिक स्वयंसेवकों की क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी वहीं टेली-लॉ सेवाओं के कारगर संचालन के लिए 1000 सामान्य सेवा केंद्रों में वीएलई को प्रशिक्षण दिया गया है।
कार्यक्रम के तहत ‘टेली-लॉ’ नाम का एक पोर्टल शुरू किया जाएगा, जो समूचे कॉमन सर्विस सेंटर नेटवर्क पर उपलब्ध होगा। यह पोर्टल प्रौद्योगिकी सक्षम प्लेटफार्मों की सहायता से नागरिकों को कानून सेवा प्रदाताओं के साथ जोड़ेगा।
इसी तरह ‘टेली-लॉ’ के जरिए लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सामान्य सेवा केंद्रों पर वकीलों से कानूनी सहायता प्राप्त कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त लॉ स्कूल क्लिनिकों, जिला विधि सेवा प्राधिकारियों, स्वयंसेवी सेवा प्रदाताओं और कानूनी सहायता एवं अधिकारिता के क्षेत्र में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों को भी सीएससी के साथ जोड़ा जाएगा। राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) राज्यों की राजधानियों से वकीलों का एक पैनल उपलब्ध कराएगा, जो आवेदकों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कानूनी सलाह और परामर्श प्रदान करेंगे।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक सामान्य सेवा केंद्र एक पैरा-लीगल वालंटियर (पीएलवी) की नियुक्ति करेगा, जो ग्रामीण नागरिकों के लिए सम्पर्क का पहला बिंदु होगा और कानूनी मुद्दे समझने में उनकी सहायता करेगा। इसके अंतर्गत चुने हुए पीएलवीज़ को आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा ताकि वे अपने दायित्वों का कारगर ढंग से निर्वाह कर सकें।
‘टेली-लॉ’ सेवा की शुरुआत करते हुए न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सेवा शुरू करके सरकार ने समाज के गरीब लोगों की पहुंच न्याय और अधिकारिता तक सुनिश्चित करने का अपना वायदा निभाया है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक सामान्य सेवा केंद्र एक पैरा-लीगल वालंटियर (पीएलवी) की नियुक्ति करेगा, जो ग्रामीण नागरिकों के लिए सम्पर्क का पहला बिंदु होगा और कानूनी मुद्दे समझने में उनकी सहायता करेगा। इसके अंतर्गत चुने हुए पीएलवीज़ को आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा ताकि वे अपने दायित्वों का कारगर ढंग से निर्वाह कर सकें।
यह कार्यक्रम झारखंड और राजस्थान में कमजोर वर्गों की पहुंच न्याय तक कायम करने के लिए न्याय विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा चलाए जा रहे एक्सेस टू जस्टिस प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत झारखंड में तीन जिलों के दस सामान्य सेवा केंद्रों और राजस्थान में 11 जिलों के 500 सामान्य सेवा केंद्रों के जरिए लोगों को कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अंतर्गत राजस्थान में 500 स्वयंसेवी विधि विशेषज्ञों को सामाजिक न्याय के कानूनों का प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है।