थार रेगिस्तान की कुछ प्रमुख वनस्पतियों और पेड़ पौधों की। ये पौधे वे हैं जिनके लिए थार का रेगिस्तान जाना जाता है। जो यहां की विशेषता है।
इस तरह की वनस्पति में फोग से लेकर बूर, खींप और रोहिड़े से लेकर सेवण और बेलड़ी तक शामिल है।
सबसे पहले बात करते हैं फोग की। फोग राजस्थान का एक अद्भुत व बहुपयोगी पौधा है जो अनेक काम आता है। ईंधन व चारे के साथ साथ इसका सबसे बड़ा उपयोग इसका बीज है। फोग के दाने सरसों के दानों की तरह ही होते हैं, थोड़े बैडोल। राजस्थानी रायते की लज्जत यही फोग है। अगर राजस्थान में फोग वाला रायता नहीं खाया तो समझिए कुछ मिस कर गए।
भले ही थार की वनस्पतियों में से अधिकतर खरपतवार मानी जाती हों लेकिन मानव व पशुओं की हारी-बीमारी में इलाज के लिए, चारे के लिए, टिब्बों के प्रसार तथा भू कटाव रोकने सहित अनेक कामों में इनका महत्व है। उदाहरण लें तो कच्चे मकान की छत या झोंपड़ा बनाने में खींप का कोई सानी नहीं है। झाड़ीनुमा इस पौधे के खींपोली नामक फलियां लगती है। बुई धोरों के प्रसार को थामती है जबकि सरकंडे आदि बुज्जे भूमि के कटाव को रोकते हैं। सरकंडे से मूंज बनती है। मूंज चारपाई बुनने के काम आती है।
बेलड़ी दुधारू पशुओं के लिये सबसे अच्छा हरा चारा है। बेलड़ी की टहनियां तोड़ें तो उसमें से दूध जैसा सफेद तरल पदार्थ निकलता है और आम धारणा है कि इसे खाने के बाद पशु दूध अच्छा देते हैं। कंटीली भुरट, साटा तथा बुई को ऊंटों के लिये सबसे अच्छा चारा माना जाता है। एक घास है धामण जिसे पशु चारे में ‘हलवे’ की संज्ञा दी गई है। इसी तरह की घास सेवण जैसलमेर के इलाके में होती है। यह टिब्बों के प्रसार को रोकने में भी काफी उपयोगी है। (कृपया वीडियो देखें)