रिजर्व बैंक उसके यहां रखी बैंकों की राशि पर जिस दर से ब्याज देते हैं उसे रिवर्स रेपो दर कहा जाता है।
दरअसल सामान्य बैंक अपने दैनिक कामकाज के बाद बची नकदी को अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में जमा करवा देते हैं। केंद्रीय बैंक इस पर उन्हें ब्याज देता है। यह ब्याज दर रिवर्स रेपो दर कहलाती है। रेपो शब्द repurchase agreement (repo) से आया है।
केंद्रीय बैंक बैंकिंग प्रणाली में नकदी घटाने बढाने के लिए इस दर में बदलाव करता रहता है। उदाहरण के रूप में रिजर्व बैंक इस दर को बढाकर बैंकों की अतिरिक्त तरलता या नकदी को सोखने का प्रयास करता है ताकि मुद्रा स्फीति पर अकुंश बना रहे।
रिवर्स रेपो दर इस समय (सात जून 2017 को घोषित ) छह प्रतिशत है। रिजर्व बैंक द्विमासिक आधार पर रेपो दर की समीक्षा करता है।