रामनाथ कोविंद देश के चौदहवें राष्ट्रपति बने। कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को संसद के केंद्रीय कक्ष में पद व गरिमा की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने कोविंद को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई।
राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में कोविंद का मुकाबला मीरा कुमार से रहा। 20 जुलाई 2017 को घोषित चुनाव परिणाम में कोविंद भारी मतों से विजेता रहे। यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से एकल संक्रमणीय मत द्वारा हुआ। कोविंद को निर्वाचक मंडल में 65 प्रतिशत से अधिक मत मिले। उन्हें 2930 मत मिले जिनका मूल्य 7,02,044 मत है। मीरा कुमार को 1844 मत प्राप्त मिले जिनका मूल्य 3,67,314 है। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल के 4,896 मतदाताओं में से 4,120 विधायक और 776 सांसद शामिल हैं।
इससे पहले चुनाव आयोग ने सात जून 2017 को राष्ट्रपति पद के लिये निर्वाचन कार्यक्रम घोषित किया।राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी ने 14 जून 2017 को अधिसूचना जारी की। यह अधिसूचना भारत के राष्ट्रपति के पद को भरने के लिए चुनाव आयोजित करने हेतु विधान के अनुच्छेद 324 व राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 की धारा 4 की उप-धारा (1) के तहत जारी की गई।
रामनाथ कोविंद का नाम: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 19 जून 2017 को घोषणा की कि रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग के प्रत्याशी होंगे। बिहार के राज्यपाल कोविंद चर्चा परिचर्चा से दूर रहने वाले दलित नेता हैं। वे दो बार भाजपा के राज्यसभा सदस्य और भाजपा के दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। रामनाथ कोविंद ने 23 जून 2017 को नामांकन पत्र दाखिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इस अवसर पर मौजूद थे। कोविंद ने नामांकन दाखिल करने के बाद कहा कि हमारे देश का संविधान सर्वोपरि है और उनका मानना है कि राष्ट्रपति को दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए।
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मीरा कुमार का नाम: वहीं विपक्षी दलों ने 22 जून को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए अपना साझा उम्मीदवार बनाने की घोषणा की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसकी घोषणा की। कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार ने 28 जून 2017 को अपना नामांकन दाखिल किया। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व राकांपा प्रमुख शरद पवार भी मौजूद थे।
नियम व प्रकिया: उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 62 के अनुसार, राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि के समाप्त होने से पहले निवर्तमान राष्ट्रपति से उत्पन्न पद की रिक्तता को भरने के लिए चुनाव कराया जाना आवश्यक है। कानून में कहा गया है कि चुनाव की अधिसूचना निवर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल के समाप्त होने से पहले 60वें दिन या उसके बाद जारी की जाएगी।
संविधान के अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 एवं राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 राष्ट्रपति पद के चुनाव के संचालन का निरीक्षण, निर्देश एवं नियंत्रण का दायित्व भारत के चुनाव आयोग पर है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने का अधिदेश है कि राष्ट्रपति पद, जोकि देश में सर्वोच्च निर्वाचक पद है, का चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो। चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्म्ेदारी के निर्वहन के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं केंद्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी समेत सभी राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
राज्य सभा और लोकसभा या राज्यों की विधान सभाओं के नामांकित सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं होते हैं और इसलिए वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते। इसी प्रकार, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के मतदाता नहीं होते।
संविधान के अनुच्छेद 55 (3) में प्रावधान है कि चुनाव एकल हस्तांतरणीय वोट के द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली के अनुरूप किया जाएगा और ऐसा चुनाव गुप्त मतदान के जरिये संचालित किया जाएगा। इस प्रणाली में, निर्वाचक उम्मीदवार के नाम के आगे वरीयता चिन्हित करेंगे। चुनाव में मार्किंग के लिए चुनाव आयोग विशिष्ट पेन का उपयोग करेगा। चुनाव आयोग केंद्र सरकार के परामर्श से निर्वाचन अधिकारी के रूप में बारी बारी से लोक सभा एवं राज्य सभा के महासचिव की नियुक्ति करता है।