नेशनल साइंस सेंटर नयी दिल्ली के प्रगति मैदान के एक नंबर गेट के पास है। यह भैरों रोड पर पड़ता है। यहां डीटीसी व कलस्टेर बसों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। प्रगति मैदान मेट्रो स्टेहशन यहां से थोड़ी दूरी पर है।
राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र होली व दीवाली के अलावा साल भर खुला रहता है। सुबह दस बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक। यानी सप्ताह के सातों दिन यहां जाया जा सकता है।
अब बात शुल्क यानी फीस की। नेशनल साइंस सेंटर का प्रवेश शुल्क सामान्य नागरिक के लिए 50 रुपये है। लेकिन 26 या इससे अधिक के समूह में यह शुल्क 40 रुपये प्रति व्यिक्ति हो जाता है। प्राइवेट स्कूयल के विद्यार्थियों के लिए शुल्क 20 रुपये व सरकारी स्कूरल के छात्रों के लिए केवल 10 रुपये है। अगर बीपीएल कार्डधारी है तेा प्रवेश शुल्क केवल पांच रुपये है।
इसी तरह 3डी शो का शुल्क सामान्य आंगतुक के लिए 25 रुपये है। लेकिन 26 या इससे अधिक के समूह में यह शुल्क 20 रुपये प्रति व्य क्ति हो जाता है। प्राइवेट स्कूंल के विद्यार्थियों के लिए शुल्कत 20 रुपये व सरकारी स्कूंल के छात्रों के लिए केवल 10 रुपये है।
तारामंडल शो में सामान्य शुल्क 20 रुपये है। प्राइवेट स्कूल के समूह विद्यार्थियों के लिए शुल्क 10 रुपये व सरकारी स्कूल के समूह छात्रों के लिए केवल पांच रुपये है। इसी तरह मनोरंजक विज्ञान व्याख्यान में सामान्य शुल्क 10 रुपये है। प्राइवेट स्कूल के समूह विद्यार्थियों के लिए शुल्क 10 रुपये व सरकारी स्कूल के समूह छात्रों के लिए केवल पांच रुपये है। वहीं साइंस आन स्फियर में सामान्य शुल्क 25 रुपये है। प्राइवेट स्कूल के समूह विद्यार्थियों के लिए शुल्क 20 रुपये व सरकारी स्कूल के समूह छात्रों के लिए केवल 10 रुपये है।
पांच साल तक बच्चे, वर्दीधारी रक्षाकर्मी व दिव्यांग इस सेंटर को नि:शुल्क देख सकते हैं।
इस केंद्र का उदघाटन 9 जनवरी 1992 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाउराव ने किया था। इस केंद्र का संचालन राष्ट्रीय विज्ञान संग्राहलय परिषद् करती है जो संस्कृति मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संस्था है।
अब बात करते हैं इस नेशनल साइंस सेंटर की विशेषताओं की। राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इतिहास विषय पर अपनी तरह का सबसे बड़ा व अनूठा केंद्र है। इसे विशेष रूप से पांच साल के बच्चोंड को जरूर देखना चाहे । इस चार मंजिला भवन में इन विषयों को विस्ता र से समझाया गया है। लगभग आधा दर्जन गैलरियां या दीर्घाएं हैं.
भारतीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी विरासत दीर्घा में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की 4500 साल लंबी विरासत पर प्रकाश डाला गया है। यह दीर्घा या प्रदर्शनी बताती है कि कला और साहित्य के साथ – साथ भारतीय भूमि पर विज्ञान प्रौद्योगिकी किस तरह फली फूली। इसमें गणित, परमाणु व ब्रह्मांड के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को दर्शाया गया है।
जल: जीवन का अमृत दीर्घा में यह बताने व समझाने की कोशिश की गई है हमारे जीवन व इस प्रकति के लिए जीवन का क्याश महत्व है। इसमें बताया गया है कि पृथ्वी पर कितना जल उपस्थित है और जीव जन्तुओं के लिए कितना जल पर्याप्त है। यहां कोई भी व्यक्ति अपने शरीर के विभिन्न अंगों में जल की मात्रा को जान सकता है। मानव जीव विज्ञान दीर्घा इस केंद्र में चौथी मंजिल पर है। इसमें मानव शरीर के सभी पहलुओं के बारे में बहुत ही वैज्ञानिक व सरल तरीके से समझाया गया है। इसका उद़देश्यर मानव शरीर के बारे में मिथकों को स्पष्ट करना तथा मानव शरीर की तर्कसंगत समझ बनाना है।
प्रागैतिहासिक जीवन दीर्घा विशेषकर बच्चोंत के लिए बहुत ही रोचक अनुभव देती है।
इस दीर्घा या गैलरी में विभिन्न जीवनकल के चुने हुए 35 प्रजातियों जैसे ट्राइलोबाइट्स, विशालकाय बिच्छुओं, पक्षी, भीमकाय डाइनोसॉर और निएंडरथल इंसान को कृत्रिम माहौल, विशेष प्रकाश और ध्वनि प्रभाव के साथ दिखाया जाता है। यह अनूठी है।