जीएसटी रिटर्न कैसे दाखिल करें

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वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी एक नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है। इसे देश में अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार बताया गया है। जीएसटी के तहत रिटर्न फाइल कैसे करें इसके लिए समुचित प्रक्रिया है। जीएसटी में रिटर्न फाइल करने करने की प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं—

  • अ. केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के लिए एक रिटर्न।
    ब. रिटर्न दाखिल करने के लिए जीएसटी बिजनेस प्रोसेस में आठ फॉर्म दिए गए हैं। औसत करदाता सामान्यतः रिटर्न दाखिल करने में चार फॉर्म का इस्तेमाल करेंगे। ये हैं सप्लाई, खरीद, मासिक रिटर्न तथा वार्षिक रिटर्न फॉर्म।
    स. कम्पोजिशन योजना विकल्प वाले छोटे करदाताओं को तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करना होगा।
    द. सभी रिटर्न ऑनलाईन भरे जाएगे और सभी करों का भुगतान ऑनलाईन होगा।

अगर हम विस्तार से प्रक्रिया को जानना चाहें तो कहना होगा

  • विभिन्‍न श्रेणियों के व्‍यक्तियों को भिन्‍न-भिन्‍न निर्दिष्‍ट तिथियों तक इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से रिटर्न भरना होगा।
  • कर अदायगी के लिए करदाताओं के पास अनेक विकल्‍प होंगे जिनमें इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी)/रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) शामिल हैं।
  • आपूर्ति को प्राप्‍त करने वाले सरकारी विभागों, स्‍थानीय प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों सहित कतिपय व्‍यक्तियों पर उन आपूर्तिकर्ताओं को किये गये भुगतान अथवा उनके खाते में डाली गई धनराशि पर 1 प्रतिशत की दर से टैक्‍स काटने का दायित्‍व होगा जिनकी आपूर्ति का कुल मूल्‍य किसी भी अनुबंध के तहत 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा होगा।
  • करदाता अथवा टैक्‍स का वहन करने वाले किसी भी व्‍यक्ति को उपयुक्‍त तिथि से दो वर्षों के भीतर ही कर रिफंड की मांग करनी होगी।
  • इलेक्‍ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटरों पर उस दर से ‘स्रोत पर कर’ संग्रहित करने का दायित्‍व होगा जो उनके पोर्टल के जरिये वस्‍तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति करने वालों को किये गये भुगतान, कर योग्‍य आपूर्तियों के शुद्ध मूल्‍य के 1 प्रतिशत से ज्‍यादा नहीं होगी।
  • पंजीकृत व्‍यक्ति देय करों का स्‍व-आकलन कर सकेंगे।
  • पंजीकृत व्‍यक्तियों का ऑडिट कराया जायेगा, ताकि अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन का सत्‍यापन हो सके।
  • मांग किये जाने की अवधि की सीमा सामान्‍य मामलों में वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की देय तिथि अथवा करों की कम अदायगी अथवा भुगतान न किये जाने की स्थिति‍ में मांग किये जाने के लिए त्रुटिपूर्ण रिफंड की तारीख अथवा त्रुटिपूर्ण रिफंड एवं इसके अधिनिर्णय की तिथि से लेकर 3 साल तक होगी।
  • मांग किये जाने की अवधि की सीमा धोखाधड़ी, तथ्‍य छिपाने या जानबूझकर गलत बयानी के मामलों में वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की देय तिथि अथवा करों की कम अदायगी अथवा भुगतान न किये जाने की स्थिति‍ में मांग किये जाने के लिए त्रुटिपूर्ण रिफंड की तारीख अथवा त्रुटिपूर्ण रिफंड एवं इसके अधिनिर्णय की तिथि से लेकर 5 साल तक होगी।
  • बकाया कर की वसूली विभिन्‍न तरीकों से की जा सकेगी जिसमें चूक करने वाले कर योग्‍य व्‍यक्ति की वस्‍तुओं, चल एवं अचल सम्‍पत्ति पर रोक लगाना एवं बेचना भी शामिल है।
  • अधिकारियों के पास निरीक्षण, तलाशी लेने, जब्‍त करने एवं गिरफ्तार करने के प्रतिबंधात्मक अधिकार होंगे।
  • अपीलीय प्राधिकरण या पुनरीक्षण प्राधिकरण द्वारा पारित किये गये आदेशों के खिलाफ अपीलों पर सुनवाई के लिए केन्‍द्र द्वारा वस्‍तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन किया जायेगा। राज्‍य संबंधित एसजीएसटी अधिनियम में न्‍यायाधिकरण से संबंधित प्रावधानों को अपनायेंगे।
  • राज्‍यों द्वारा अग्रिम निर्णय प्राधिकरण का गठन किया जायेगा, ताकि करदाता विभाग से कराधान संबंधी मसलों पर बाध्‍यकारी स्‍पष्‍टता की मांग कर सकें। केन्‍द्र सीजीएसटी अधिनियम के तहत इस तरह के प्राधिकरण को अपनायेगा।
  • मुनाफाखोरी रोधी अनुच्‍छेद की भी व्‍यवस्‍था की गई है, ताकि कारोबारी वस्‍तुओं या सेवाओं अथवा दोनों पर देय टैक्‍स में की गई कटौती का लाभ उपभोक्‍ताओं को अवश्‍य ही दें।
  • मौजूदा करदाता जीएसटी व्‍यवस्‍था को आसानी से अपना सकें, इसके लिए विस्‍तृत संक्रमणकालीन प्रावधान किए गए हैं।

बाकी नियम सीबीईसी की वेबसाइट पर यहां देखें

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Author: sangopang

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