जीएसटी परिषद ने वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के लिए कर की चार दरें या स्लैब तय किए। कर की चार दरें यथा 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत है। यानी सभी वस्तुओं व सेवाओं पर इन्हीं चार स्लैब में कर लगता है।
इसके अलावा, कुछ वस्तुओं और सेवाओं को छूट प्राप्त मदों की सूची में रखा गया है। जैसे शराब को इससे अलग रखा गया है। विलासता वाली कुछ विशेष वस्तुओं के साथ-साथ अहितकारी या नुकसानदेह वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की सर्वाधिक दर के अलावा उपकर भी 5 वर्षों तक लगेगा ताकि जीएसटी को लागू करने से राज्यों को होने वाले किसी भी तरह के राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके।
छूट सीमा:
जहां तक जीएसटी के तहत छूट सीमा का सवाल है तो न्यूनतम छूट सीमा 20 लाख रुपए है। यानी जिन इकाइयों व फर्मों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपए है उन्हें जीएसटी में छूट मिलेगी। हालांकि पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों के लिए छूट सीमा 10 लाख रुपए सालाना है।
न्यूनतम छूट सीमा 20 लाख रुपये होगी। संविधान के अनुच्छेद 279ए में वर्णित विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए न्यूनतम छूट सीमा 10 लाख रुपये तय की गई है। संयोजन न्यूनतम सीमा 50 लाख रुपये होगी। संयोजन योजना अंतर-राज्य आपूर्तिकर्ताओं, सेवा प्रदाताओं (रेस्तरां सेवा को छोड़कर) और विशेष श्रेणी के निर्माताओं के लिए उपलब्ध नहीं होगी।
केन्द्र अथवा राज्य सरकारों की मौजूदा कर प्रोत्साहन योजनाओं को संबंधित सरकार बजट के जरिये प्रतिपूर्ति करते हुए जारी रख सकती है। वहीं, इन योजनाओं को मौजूदा स्वरूप में ही जीएसटी के अंतर्गत जारी नहीं रखा गया।
सीजीएसटी और एसजीएसटी दोनों पर एक समान न्यूनतम छूट सीमा लागू होगी। 20 लाख रुपये के वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं (संविधान के अनुच्छेद 279ए में वर्णित विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 10 लाख रुपये) को जीएसटी से छूट है। 50 लाख रुपये तक के वार्षिक कारोबार वाले छोटे करदाताओं (उत्पादकों और सेवा प्रदाताओं की विशेष श्रेणी सहित) को एक सहमति (कंपाउंडिंग) विकल्प (अर्थात क्रेडिट के बगैर एक समान यानी फ्लैट दर से टैक्स अदा करना) दिया गया है।। न्यूनतम छूट सीमा और कंपाउंडिंग योजना वैकल्पिक है।
ये भी पढ़ें: