नेशनल आप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) देश के ग्रामीण हिस्सा में संचार विशेषकर इंटरनेट की पहुंच बढाने की महत्वाकांक्षी योजना है. इसे दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण संचार परियोजना भी बताया जाता है.
इसके तहत 2016 तक देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायत को ब्राडबैंड सेवा से जोड़ा जाना है और इसके पूरी तरह लागू होने पर ग्रामीण इलाकों के 60 करोड़ लोग ब्राडबैंड से जुड़ जाएंगे. पहले चरण में इस साल के आखिर तक 50,000 ग्राम पंचायतें इंटरनेट से जड़ेंगी. पहले यह समयसीमा मार्च 2017 थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर इसे दिसंबर 2016 किया गया है. इस नेटवर्क के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर उच्च डाउनलोड स्पीड वाला इंटरनेट उपलब्ध कराना है.
एनओएफएन को सार्वभौम सेवा दायित्व कोष (यूएसओएफ), दूरसंचार विभाग धन उपलब्ध करा रहा है. इससे गांवों व शहरों में इंटरनेट की उपलब्धता में भेदभाव कम होने की उम्मीद है. यानी यह भारत में डिजिटल खाइ को पाटेगा. इस परियोजना का कार्यान्वयन सार्वजनिक कंपनी बीएसएनएल, पावरग्रिड और रेलटेल कर रही है. परियोजना की अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये है.
जनवरी 2015 में एनओएफएन ने कहा कि वह 50 हजार ग्राम पंचायतों में फाइबर विछाने के लिए निजी कंपनियों की मदद लेगी. इन कंपनियों को निर्माण जैसा सिविल काम सौंपा जाएगा.
सरकार को विश्वास है कि एनओएफएन की स्थापना के बाद मोबाइल कंपनियों, केबल टीवी कंपनियों जैसे सेवा प्रदाताओं के लिए संभावनाओं के नये द्वार खुलेंगे और सूचना प्रौद्योगिकी रोजगार के नये अवसर लाएगी.