कार्बन डाइआक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए क्योतो संधि में एक तरीक़ा सुझाया गया है जिसे कार्बन ट्रेडिंग कहते हैं. यानी कार्बन डाइऑक्साइड का व्यापार.
यह योजना केवल विकसित देशों पर ही लागू है. इसमें होता ये है कि कोई विकसित देश किसी विकासशील देश में ऐसी योजना अपनाता है जिससे ग्रीन हाउस गैसों में कमी लाई जा सके. वह इसके लिए धनराशि और तकनीकि सहायता भी देगा और इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में जो कमी आएगी उसका लाभ उसे मिलेगा.
उदाहरण के लिए ब्रिटेन, भारत में कोयले की जगह सौर ऊर्जा की कोई परियोजना शुरु करे. इससे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा जिसे आंका जाएगा और फिर उसका मुनाफ़ा ब्रिटेन को मिलेगा.