राजस्थान यूं तो अपने ऐतिहासिक वैभव के लिए जाना जाता है, लेकिन इसकी सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनैतिक पृष्ठभूमि इसे और अधिक महत्ता प्रदान करती है. एक ओर तीर्थराज पुष्कर, देलवाड़ा के जैन मंदिर, ख्वाजा साहब की दरगाह और लोकदेवता रामदेव की स्थली रामदेवरा राजस्थान का धार्मिक यशोगान गाते है, तो दूसरी ओर गुलाबी नगरी जयपुर का आमेर किला और हवामहल, स्वर्ण नगरी जैसलमेर का सोनार किला, सूर्यनगरी जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग, नाकोड़ा का जैन मंदिर और झीलो की नगरी उदयपुर पर्यटकों को यहां आने के लिए विवश कर देते है.
‘केसरिया बालम आवों नी पधारों म्हारे देश’ की मधुर स्वर लहरियों के साथ जैसलमेर का मरू और बाड़मेर का थार महोत्सव, भरतपुर का ब्रज उत्सव, जयपुर का गणगौर महोत्सव, बीकानेर का ऊंट महोत्सव, मेवाड़ महोत्सव प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के परिचायक है. हल्दीघाटी का ऐतिहासिक युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के साथ ही पोकरण परमाणु विस्फोट राज्य के सामरिक महत्व को प्रतिपादित करते है. भारत-पाक के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस भी यहीं से चलती है.
महाराणा प्रताप का नाम लिए बिना देशभक्ति, मीरा का नाम लिए बिना कृष्ण भक्ति और वीर दुर्गादास राठौड़ और पन्नाधाय का नाम लिए बिना स्वामी भक्ति की बात करना बेमानी है. रानी पद्मनी के जौहर की गाथा गाने वाले इसी राज्य ने सागरमल गोपा जैसे जंगे आजादी के सिपाही दिए है. 30 मार्च 1949 का राजस्थान का गठन हुआ, राज्य में इस दिन को ‘राजस्थान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, जैसलमेर, भीलवाड़ा, भरतपुर, बीकानेर और कोटा यहां के प्रमुख शहर है.
भारत के कुल 10.4 फीसदी क्षेत्रफल, 342,239 वर्ग किलोमीटर में फैला यह प्रदेश क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य है. 23.0 से 30.0 अक्षांश और 66.0 से 78.0 देशान्तर के बीच स्थित यह प्रदेश के पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा से घिरा है. पाकिस्तान से लगती 1070 किमी लम्बी अंर्तराष्ट्रीय सीमा इस प्रदेश के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और गंगानगर जिलों से लगती है.
उपमहाद्वीप के सबसे बड़ा रेगिस्तान ‘थार’ से शुरू होकर ‘घग्घर’ नदी पर खत्म होने वाले इस राज्य में दुनिया की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक अरावली पर्वत माला के साथ ही रणथम्भौर और सरिस्का जैसे बाघ अभ्यारण और केवलादेव जैसा राष्ट्रीय उद्यान इस राज्य में अनेकता में एकता की भारत की सच्ची तस्वीर बंया करते है. लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी इसी राज्य में थी. हड़प्पा सभ्यता का एक नगर कालीबंगा के अवशेष इसी राज्य में हैं. पश्चिमी राजस्थान में मिले तेल गैस के अथाह भण्डारों के साथ ही कोयले की विभिन्न प्रजातियां के साथ जिप्सम, तांबा, अभ्रक जैसे खनिजों के साथ सौर और पवन ऊर्जा आधारित परियोजनाओं ने प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में नए आयाम प्रदान किए है. देश में लिग्नाइट आधारित बिजली परियोजना बाड़मेर जिले में ही स्थापित हुई है.
राज्य की कुल 6,86,21,012 की आबादी में 3,56,20,086 पुरूषों और 3,30,00,926 महिलाओं वाले इस राज्य में 33 जिले और 222 शहर-कस्बे है. गुलाबी नगरी जयपुर इसकी राजधानी है. 201/वर्गकिमी जनसंख्या घनत्व के साथ राजस्थान में करीब 88 फीसदी हिन्दू, 8.5 प्रतिशत मुस्लिम, 1.4 प्रतिशत सिख, 1.2 प्रतिशत जैन समुदाय के साथ शेष आबादी अन्य धर्मो और वर्गो की है. लिंगानुपात के राष्टीय औसत 940 की तुलना में यहां 1000 पुरूषों पर 926 महिलाएं है, तो दूसरी और बाल लिंगानुपात का औसत राष्टीय औसत 914 की तुलना में मात्र 883 है। 67.06 फीसदी साक्षरता वाले इस प्रदेश में पुरूष साक्षरता का प्रतिशत 80.51 और महिला साक्षरता का प्रतिशत 52.66 है.
राजस्थान में 200 विधानसभा, 25 लोकसभा और राज्यसभा की 10 सीटें है. राजपूत, जाट, मुसलिम, मेघवाल, भील, ब्राह्म्ण, मीणा, गुजर, राइका, यहां की प्रमुख जातियां है. कालबेलिया और भवाई यहां के प्रमुख लोकनृत्य है. होली, दीपावली, दशहरा, ईद के अलावा गणगौर, तीज, पर्यूषण पर्व जैसे त्यौहार भी राजस्थान में धूमधान से मनाए जाते है.
परमवीर चक्र विजेता मेजर जनरल शैतानसिंह राठौड़, स्टील किंग लक्ष्मीमित्तल, पूर्व उपराष्टपति भैरोसिंह शेखावत, ग्रेमी अर्वाड विजेता पं.विश्वमोहन भट्ट, गायक जगजीतसिंह, लेखक विजयदान देथा ‘बिज्जी’ जैसी शख्सियतें राजस्थान को गौरवान्वित करती है. राष्ट्रपति प्रतिभादेवीसिंह पाटिल भी राजस्थान के सीकर घराने की बहू हैं. अर्जुन पुरस्कार विजेता तीरअंदाज राज्यवर्धनसिंह राठौड़ और एथलीट कृष्णा पुनिया भी इसी माटी की देन है.
राजस्थानी और हिन्दी बोली के साथ ही सफेद धोती और कुर्ते के साथ ही रंगबिरंगे साफे के पहनावे के साथ बाजरा यहां का मुख्य खाद्यान्न है. रेगिस्तान और सूखें के लिए जाना जाने वाले इस इलाके में अकाल का चोली दामन का साथ रहा है और बरसात यदा-कदा ही होती है, लेकिन 2006 की बाढ़ ने वैज्ञानिक दृष्टिकोणों को झकझोर कर रख दिया था. पश्चिम में लूनी जैसी नदियों में वर्षा के दिनों में ही पानी दिखता है, तो दूसरी ओर पूर्वी राजस्थान में चम्बल और माही नदी पर बने बांधों ने उस इलाके का उपजाऊ बनाए रखा है. राज्य में वर्षा का औसत 100 से 675 मिलीमीटर है. सर्दी में यहां का औसत तापमान 18 डिग्री रहता है, तो दूसरी ओर गर्मी में कुछ स्थानों पर तापमान 48 डिग्री तक रिकार्ड किया जाता है. ज्वार, बाजरा, गेहूं, कपास, गन्ना और तम्बाकू यहां की प्रमुख फसलें है. गोडावण यहां का राजकीय पक्षी, रोहिड़ा राजकीय फूल, खेजड़ी राजकीय पेड़ और चिंकारा राजकीय पक्षी है.