वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी का भारत में लंबा इतिहास कहा जा सकता है। राजनीतिक तौर पर सहमति नहीं बनने के कारण इसके कार्यान्वयन में लगभग 14 साल लग गए। इस कर बदलाव को देश में अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार बताया गया। जिस कर प्रणाली को हमारे देश में एक अप्रैल 2010 से लागू करने का प्रस्ताव किया गया था वह एक जुलाई 2017 से लागू हुई।
दरअसल पहली बार 2003 में प्रत्यक्ष कर पर केलकर कार्यबल ने जीएसटी का सुझाव दिया था। केलकर कार्यबल ने देश में वैट सिद्धांत पर आधारित एक व्यापक वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का सुझाव दिया था। इसके बाद सबसे पहले वित्त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में एक अप्रैल 2010 से राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुए एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का प्रस्ताव किया गया था। चूंकि इसके प्रस्ताव में न केवल केन्द्र द्वारा लगाए जाने वाले अप्रत्यक्ष करों बल्कि राज्य द्वारा लगाए जाने वाले करों में भी सुधार और पुनर्गठन करना शामिल था इसलिए जीएसटी लागू करने का डिजाइन और रोडमैप तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को सौंपी गई।
केंद्र भारत सरकार और राज्यों से प्राप्त सुझावों के आधार पर इस अधिकार प्राप्त समिति ने नवम्बर, 2009 में वस्तु एवं सेवा कर पर अपना पहला विचार-विमर्श पत्र (एफडीपी) जारी किया।
जीएसटी से संबंधित कार्य को आगे बढ़ाने के क्रम में केन्द्र के साथ-साथ राज्य सरकार के अधिकारियों को शामिल करके एक संयुक्त कार्य समूह का सितम्बर, 2009 में गठन किया गया था।
जीएसटी लागू करने में सक्षमता के लिए संविधान संशोधन करने के लिए संविधान (155वां संशोधन) विधेयक मार्च, 2011 में लोकसभा में पेश किया गया। निर्धारित प्रक्रिया के साथ विधेयक को जांच और रिपोर्ट के लिए संसद की स्थायी वित्त समिति के पास भेजा गया।
केन्द्रीय वित्त मंत्री और राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के मध्य 08 नवम्बर, 2012 को आयोजित बैठक में लिये गये निर्णय के अनुपालन में भारत सरकार, राज्य सरकारों के अधिकारियों और अधिकार प्राप्त समिति को शामिल करके ‘जीएसटी स्वरूप पर समिति’ का गठन किया गया।
जीएसटी स्वरूप पर समिति ने जीएसटी स्वरूप और संविधान 115वां संशोधन विधेयक के बारे में विस्तृत विचार-विमर्श किया और जनवरी, 2013 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट के आधार पर अधिकार प्राप्त समिति ने जनवरी, 2013 में भुवनेश्वर में आयोजित अपनी बैठक में संविधान संशोधन विधेयक में कुछ परिवर्तनों की सिफारिश की।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) ने नवंबर 2013 में शिलोंग में अपनी बैठक के बाद विधेयक पर कुछ सिफारिशें की। अधिकार प्राप्त समिति की कुछ सिफारिशें प्रारूप संविधान (115वां संशोधन) विधेयक में शामिल की गई। संशोधित प्रारूप मार्च 2014 में अधिकार प्राप्त समिति के विचार के लिए भेजा गया।
जीएसटी लागू करने के लिए लोकसभा में मार्च 2011 में 115वां संविधान (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। 15वीं लोकसभा भंग होने से यह विधेयक स्वतः समाप्त हो गया।
एन. जून, 2014 में नई सरकार की स्वीकृति के बाद प्रारूप संविधान संशोधन विधेयक अधिकार प्राप्त समिति को भेजा गया।
विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर उच्च अधिकार प्राप्त समिति के साथ बनी सहमति के आधार पर मंत्रिमंडल ने 17/12/2014 को देश में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन के लिए विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 19/12/2014 को विधेयक लोकसभा में पेश किया गया और सदन ने इसे 06/05/2015 को पारित कर दिया। फिर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजा गया। समिति ने 22/07/2015 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि विभिन्न मंजूूरियों के बाद इसे एक जुलाई 2017 से अमली जामा पहनाया गया।
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