देश में वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के कार्यान्वयन को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी परिषद का गठन किया। इसकी जीएसटी व्यवस्था में केंद्रीय भूमिका रही है। इसके अध्यक्ष वित्तमंत्री हैं। सभी 29 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश इसके सदस्य हैं।
परिषद इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए कर की दर तथा अन्य मुद्दों पर फैसला कर रही है। परिषद ने जीएसटी की दर, जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं और इसके दायरे में रखी जाने वाली इकाइयों के कारोबार की न्यूनतम सीमा आदि के बारे में फैसला किया।
राष्ट्रपति ने संविधान की धारा 279ए के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए सितंबर 2016 में वस्तु व सेवा कर परिषद का गठन किया। इससे पहले 12 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जीएसटी परिषद गठन की प्रक्रिया और कामकाज को मंजूरी दी गई।
जीएसटी परिषद के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री हैं। इसके सदस्य के रूप में वित्त राज्य मंत्री के साथ साथ राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री या प्रतिनिधि शामिल हैं। केंद्र का इसमें एक-तिहाई मत है जबकि राज्यों का इसमें दो-तिहाई दखल रखा गया है। जीएसटी परिषद मं किसी प्रस्ताव के स्वीकृत होने के लिए तीन-चौथाई बहुमत जरूरी है।
12 सितंबर, 2016 को जीएसटी परिषद की अधिसूचना जारी होने के बाद से परिषद की पहली बैठक 22-23 सितंबर 2016 को हुई। अब तक यानी 30 जून 2017 तक इसकी 18 बैठक हो चुकी हैं और इनमें जीएसटी के कार्यान्वयन के बारे में सभी महत्वपूर्ण फैसले किए जा चुके हैं। जिनमें किन-किन वस्तुओं व सेवाओं पर जीएसटी लगेगा, किन-किन वस्तुओं व सेवाओं को जीएसटी से अलग रखा जाएगा तथा जीएसटी के बैंड के साथ न्यूनतम दरों सहित जीएसटी की दरें शामिल हैं।
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