भारत में हज सब्सिडी उन हज यात्रियों या हाजियों को दी जाती है जो भारतीय हज समिति के जरिए जाते हैं. इस सब्सिडी में एक बड़ा हिस्सा रियायती हवाई टिकट के रूप में होता है। हालांकि न्यायालय के आदेश पर अब इस सब्सिडी को क्रमिक रूप से समाप्त किया जा रहा है।
भारत में हज सब्सिडी की बात की जाए तो सरकारी खजाने पर इससे फिलहाल लगभग साढ़े छह सौ करोड़ रुपए का बोझ पड़ता है। यह राशि 2009 में 826 करोड़ रुपए थी लेकिन उसके बाद इसमें लगातार कमी की जा रही है। हज सब्सिडी में एक बड़ा या सबसे बड़ा हिस्सा हवाई किराये का होता है। हज यात्री दो श्रेणी ग्रीन व अजीजिया में यात्रा करते हैं।
यह भी गौरतलब है कि सऊदी अरब की सरकार हज यात्रियों के लिए हर देश को एक कोटा देती है। यानी वे कितने हज यात्री उस साल भेज सकते हैं। यह कोटा देश विशेष में आबादी में मुसलमानों की संख्या के आधार पर होता है। भारत सरकार को जो कोटा मिलता है वह उसे राज्य सरकारों को आवंटित करती है। इसमें हज कमेटियों की बड़ी भूमिका मानी जाती है।
खत्म की जा रही है: भारत में हज सब्सिडी को समाप्त किया जा रहा है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। दरअसलत उच्चतम न्यायालय ने सात मई 2012 को हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की आलोचना की और केंद्र सरकार से इसे दस साल में खत्म करने को कहा. न्यायालय ने कहा कि हज यात्रा की टिकट में मिलने वाली छूट के प्रावधान को खत्म कर दिया जाए. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है तीर्थाटन के लिए जाने वाले लोगों को इस तरह की सब्सिडी देना अल्पसंख्यकों को रिझाने के समान है और सरकार को इस पॉलिसी को खत्म कर देना चाहिए.
इससे कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटा हमेशा नहीं रहना चाहिए. कोर्ट ने कहा था कि हज कोटा 1967 में एक सद्भावना के तौर पर शुरू हुआ था. इसे हमेशा जारी रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
वहीं अप्रैल 2017 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सूचित किया कि हज सब्सिडी को समाप्त करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। यह सब्सिडी 2022 तक समाप्त की जानी है। हज सब्सिडी खत्म करने की प्रक्रिया वर्ष 2013 से शुरू की गई।