क्या है इंटरनेट?

विभिन्‍न प्रणालियों के जरिए एक कंप्‍यूटर को दूसरे कंप्‍यूटर से जोड़ना ही इंटरनेट है. ठीक वैसे ही जैसे लैंडलाइन के जमाने में एक टेलीफोन दूसरे टेलीफोन से जुड़ा होता था वैसे ही कंप्‍यूटरों की आपस में नेटवर्किंग इंटरनेट कहलाती है. इसके जरिए हम दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद कंप्‍यूटर या सर्वर की जानकारी अपने कंप्‍यूटर अब लैपटाप, टेबलेट, स्‍मार्टफोन पर देख सकते हैं. या उसका इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

जैसे कि अमेरिका में छपने वाले किसी समाचार पत्र के इंटरनेट संस्‍करण को हम अपने कंप्‍यूटर पर पढ सकते हैं. लेकिन जरूरी नहीं कि हर कंप्‍यूटर इंटरनेट से जुड़ा हो. उसके लिए कंप्‍यूटर का इस्‍तेमाल करने वाले को इंटरनेट सेवा लेनी होती है. यह कई तरह से ली जा सकती है जैसे कि ब्राडबैंड इंटरनेट कनेक्‍शन या वाइफाई से.

तो इंटरनेट एक तरह से सूचनाओं का राजपथ है. यह ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति से भी बड़ी क्रांति साबित हुआ है. आज संपर्क से लेकर संचार तक सभी कुछ इंटरनेट के भरोसे ही चल रहा है.

वैसे दुनिया में केवल 40 प्रतिशत लोगों की इंटरनेट तक पहुंच है. जनवरी 2015 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक में फेसबुक की सीओओ शेरिल सेंडबर्ग ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि अगर हम केवल 40 प्रतिशत लोगों को इंटरनेट पर ही यह सब कमाल कर सकते हैं तो सोचिए कि 60, 70 प्रतिशत या इससे अधिक होने पर क्या कर सकते हैं.

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया आईएएमएआई तथा आईएमआरबी इंटरनेशनल की एक रपट के अनुसार भारत में इंटरनेट का इस्‍तेमाल करने वालों की संख्‍या दिसंबर 2013 में 21.3 करोड़ थी जो संख्‍या साल 2014 के आखिर में तीस करोड़ के आंकड़े को लांघ जाएगी.

दूरसंचार नियामक ट्राई के अनुसार देश में इंटरनेट ग्राहकों की संख्‍या जुलाई सितंबर 2014 की अवधि में 25.24 करोड़ रही. यानी एक साल में इसमें 20.92 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई.
Author: sangopang

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