पिछले कुछ वर्षों में सतत विकास (Sustainable development) पर जोर दिया जा रहा है. इसका मोटा मोटा अर्थ ऐसे विकास से है जो लंबे समय तक कायम रहे यानी संसाधनों का सही उपयोग करते हुए विकास.
इसका मूल आशय यही है कि अगर हम अपने सारे संसाधनों को आज ही ही इस्तेमाल कर लेंगे तो भावी पीढियों का क्या होगा. इसमें ऐसे विकास की परिकल्पना की गई जिससे हमारी वर्तमान जरूरतें पूरी हों और भावी पीढ़ियों के लिए भी संसाधन बचे रहें. विकास के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर इसमें दिया जाता है. पृथ्वी सम्मेलन में इस तरह के विकास पर जोर दिया गया था. ब्रंड्टलैंड रपट में इसका जिक्र हुआ था.