इस दौर के प्रमुख युवा कहानीकार अरुण कुमार ‘असफल’ की कहानी ‘पांच का सिक्का’ बेहद मशहूर और मार्मिक कहानी है. इसी कहानी के शीर्षक से उनका दूसरा कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुआ.
यह पांच कहानियों का संग्रह है. जैसा कि समीक्षा में कहा गया है अरूण ने शहरी-कस्बाई मध्यवर्गीय और निम्न मध्यवर्गीय जीवन के सामान्य हिस्सों को कहानियों की शक्ल में उकेरा है. संग्रह की कहानियों में पुरानी कमीजें, पांच का सिक्का, कंडम, गुल्लक, स्याही और तेल है.
‘पांच का सिक्का’ उर्दू में अनूदित होकर पाकिस्तान की प्रसिद्ध पत्रिका ‘इजरा’ में प्रकाशित हुई. उर्दू में खान अहमद फारूख़ ने इस कहानी का अनुवाद किया है. ‘अकार’ और ‘कथादेश’ में प्रकाशन के बाद यह कहानी बहुत चर्चित हुई है.