काँच

सांगोपांग हिंदी

कांच के बनने की रोचक कहानी है। दरअसल कांच बनता है रेत से. रेत और कुछ अन्य सामग्री को एक भट्टी में 1500 डिग्री सैल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले कांच को उन खाँचों में बूंद-बूंद करके उंडेला जाता है जिससे मनचाही चीज़ बनाई जा सके. मान लीजिए, बोतल बनाई जा रही है तो खाँचे में पिघला काँच डालने के बाद बोतल की सतह पर और काम किया जाता है और उसे फिर एक भट्टी से गुज़ारा जाता है.

काँच का आविष्कार मिस्र या मैसोपोटामिया में लगभग ढाई हज़ार साल ईसा पूर्व हुआ था. शुरू में इसका इस्तेमाल साज-सज्जा के लिए किया गया. फिर ईसा से लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले काँच के बरतन बनने लगे. पहली शताब्दी आते-आते फलस्तीन और सीरिया में, एक खोखली छड़ में फूंक मारकर पिघले काँच को मनचाहे रूप में ढालने की कला विकसित हुई और ग्यारहवीं शताब्दी में वैनिस शहर काँच की चीज़ें बनाने का केन्द्र बन गया. अब तो सारा काम मशीनों से होता है, अब तो कई तरह के कांच आने लगे हैं।

Author: sangopang

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