उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चार अप्रैल 2017 को राज्य के किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा की। राज्य सरकार की पहली मंत्रिमंडल बैठक में इस आशय का फैसला किया गया और इसका फायदा दो करोड़ से अधिक किसानों को मिलने की उम्मीद जताई गई। इसे देश में अपनी तरह की सबसे बड़ी कर्जमाफी के रूप में देखा गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कदम के तहत छोटे यानी लघु व सीमांत किसानों का एक लाख रुपए तक फसली कर्ज माफ करने का फैसला किया गया। इसके तहत उन किसानों का ऋण माफी किया जाएगा उनमें वे किसान है जिन पर एक लाख रुपए तक का कर्ज है। चाहे यह कर्ज किसी भी बैंक से लिया गया । इस तरह से सरकार ने छोटे किसानों का 30,729 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया। प्रदेश में 2.30 करोड़ किसान हैं जिनमें से 92.5 प्रतिशत यानी 2.15 करोड लघु एवं सीमांत किसान हैं।
इसी तरह सरकार ने करीब 7 लाख किसानों का कर्ज फंसे हुए कर्ज को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार ने 5630 करोड़ का कर्ज माफ किया। यानी कुल मिलाकर सरकार ने 36,359 करोड़ रुपए का ऋण माफ किया।
उल्लेखनीय है कि किसानों की कर्जमाफी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र में प्रमुख मुद्दा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कई बार इसका जिक्र किया था।
सरकार के इस फैसले पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली। कुछ लोगों ने रिण माफी की सीमा एक लाख रुपए रखे जाने पर आपत्ति जताई तो कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इससे महाराष्ट्र जैसी राज्य सरकारों पर किसानों का कर्ज माफ करने का दबाव बनेगा।