कपिल देव निखंज यानी भारत का पहला वास्तविक तेज गेंदबाज और आलराउंडर. एक बेहतरीन गेंदबाज, आक्रामक बल्लेबाज और चुस्त क्षेत्ररक्षक. कपिल एक समय टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. वह उस जमाने में क्रिकेट खेले थे जब इयान बाथम, इमरान खान और रिचर्ड हैडली तीन अन्य आलराउंडर खेला करते थे. इन चारों में कौन सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर है इस पर कभी एक राय नहीं बन पायी क्योंकि सभी अपने फन में माहिर थे. कपिल देव तो ऐसे क्रिकेटर थे जिन्होंने न सिर्फ भारतीय गेंदबाजी बल्कि भारतीय क्रिकेट को भी नयी दिशा दी थी. कभी स्पिनरों पर निर्भर रहने वाले भारत ने कपिल के आगमन के बाद ही तेज गेंदबाजी के महत्व को समझा. वह कपिल ही थे जिनकी अगुवाई में भारत ने 1983 विश्व कप जीता और जिसके बाद इस देश में क्रिकेट को नयी पहचान मिली.
भारत की जब भी कोई सर्वश्रेष्ठ एकादश बनायी जाएगी तब उसमें कपिल देव जरूर शामिल होगा. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आलराउंडरों में से एक कपिल हमेशा खुद को गेंदबाज मानते रहे लेकिन उन्होंने अपने करियर में जब तब अपनी बल्लेबाजी की भी छाप छोड़ी. उनकी 1983 के विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ टनब्रिज वेल्स में खेली गयी नाबाद 175 रन की पारी को भला कौन भूल सकता है जबकि भारत ने चोटी के पांच विकेट 17 रन पर गंवा दिये थे. इसके अलावा टेस्ट मैचों में इस बिग हिटर ने जब तक शतकीय पारियां खेली. उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर में लगाया था लेकिन बाद में उनकी बल्लेबाजी में निखार आता रहा. छह जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में जन्में कपिल ने अपने करियर में आठ टेस्ट शतक लगाये. उनके 131 टेस्ट मैच में 31.05 की औसत से बनाये गये 5248 रन इस बात का सबूत हैं कि वह बहुत अच्छे बल्लेबाज भी थे. उन्होंने इसके अलावा 225 एकदिवसीय मैच में 3783 रन भी बनाये. कपिल को 2002 में भारत का सदी का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुना गया था. वह बाद में भारतीय टीम के कोच भी रहे और गोल्फ में भी हाथ आजमाये.
कपिल की गेंदबाजी की खासियत उनकी एक्यूरेसी और गेंद को स्विंग कराना था. उन्होंने 1975- 76 में हरियाणा की तरफ से पंजाब के खिलाफ रणजी ट्राफी मैच में पदार्पण किया था और पहली पारी में ही 39 रन देकर छह विकेट लिये थे. इसके एक साल बाद उन्होंने बंगाल के खिलाफ 20 रन देकर सात विकेट और सेना के खिलाफ 38 रन देकर आठ विकेट लिये जिसके बाद उन्हें पाकिस्तान दौरे पर जाने वाली टीम में चुन लिया गया. पाकिस्तान के खिलाफ वह तीन टेस्ट में सात विकेट ही ले पाये लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ छह टेस्ट में 17 विकेट लेकर उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की. इसके बाद तो वह लगभग डेढ़ दशक तक भारतीय गेंदबाजी के अगुआ की भूमिका बखूबी निभाते रहे.
छह जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में जन्में हरियाणा हरिकेन के नाम से भी मशहूर कपिल ने 131 टेस्ट मैच में 29.64 की औसत से 434 विकेट लिये. उन्होंने 23 बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट तथा दो बार मैच में दस या इससे अधिक विकेट लिये. टेस्ट मैचों में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 83 रन देकर नौ विकेट था जो उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 1983-84 में अहमदाबाद में किया था. कपिल ने 225 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 27. 45 की औसत से 253 विकेट हासिल किये. प्रथम श्रेणी मैचों में उनके नाम पर कुल 835 विकेट दर्ज हैं. उन्होंने 1994 में रिचर्ड हैडली का सर्वाधिक टेस्ट विकेट का तत्कालीन रिकार्ड तोड़ने के बाद टेस्ट क्रिकेट और उसी साल अक्तूबर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.
वह बाद में भारतीय टीम के कोच भी रहे और गोल्फ में भी हाथ आजमाये. उन्हें सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि भी दी गई.