साल 2017 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने 403 में से 312 सीटें जीतकर राजनीतिक पटल पर धमाका सा कर दिया। सारे राजनीतिक पंडितों व विश्लेषकों के अनुमान धरे रहे गए और भाजपा राजनीतिक परिदृश्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण व संवेदनशील इस राज्य में धसक के साथ सत्ता में आई। अब सवाल था मुख्यमंत्री कौन बनेगा? यह तय करने में पार्टी को हफ्ता भर लग गया और उसने 18 मार्च को कहा कि योगी आदित्यनाथ नये मुख्यमंत्री होंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी और हिंदूवादी राजनीति का चेहरा कहे जाने वाले योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक पटल पर एक और पांसा फेंक दिया। इसे एक बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है। मंदिर से लेकर सूर्य नमस्कार और मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध को लेकर डोनल्ड ट्रंप की प्रशंसा करने से लेकर कथित लव जेहाद जैसे विवादास्पद मुद्दों पर अपने मुखर विचारों के लिए चर्चित आदित्यनाथ खुद तुष्टिकरण व जातिवाद की राजनीति के धुर विरोधी हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति को जातिवाद और मुस्लिम तुष्टीकरण ने बर्बाद किया है। अगर उत्तर प्रदेश को देश के सबसे विकसित राज्यों में शामिल करना है तो जातिवाद की राजनीति को छोड़ना होगा।
अपने मुखर रवैये के बारे में उनका कहना है कि वह वही कहते और करते हैं जो समाज के लिए हितकर होता है, देश के लिए हितकर होता है। उनका मानना है कि जातिवाद की राजनीति को त्यागे बिना उत्तर प्रदेश का विकास नहीं हो सकता।
रोचक तो यह है कि जिस उत्तर प्रदेश की बागडोर आदित्यनाथ संभाल रहे हैं वह जातिवाद की राजनीति के लिए ही जाना जाता है। जहां जातिवाद हर किसी अन्य वाद से गहरा है। सवाल यह है कि गणित में बीएससी करने वाले योगी इस समीकरण का क्या तोड़ निकालते हैं।
कहा जाता है कि पूर्वांचल में उनसे बड़ा कोई नेता नहीं है। लेकिन उनकी जड़ें तो पहाड़ में हैं। क्योंकि उनकी कहानी अजय सिंह से आदित्य नाथ होने की कहानी है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह है। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में हुआ। वे गढ़वाली राजपूत परिवार से हैं। गढ़वाल विश्विद्यालय में बीएससी गणित की। हालांकि 22 साल की उम्र में ही सांसारिक जीवन से विरक्त होकर अजय सिंह ने संन्यास ग्रहण कर लिया। वे गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर आ गए। 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ महाराज ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक किया।
गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति को छोड़ा और आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया। आदित्यनाथ ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। योगी आदित्यनाथ के नाम सबसे कम उम्र (26 साल) में सांसद बनने का रिकार्ड है। 1998 के बाद वह 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव जीते। सितंबर 2014 में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ का निधन हो गया तो आदित्यनाथ को महंत यानी पीठाधीश्वर चुन लिया गया।
यह भी तथ्य है कि योगी आदित्यनाथ 2007 के गोरखपुर दंगों के मुख्य आरोपी हैं और इस मामले में गिरफ्तार भी हो चुके हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले हैं।
मुख्यमंत्री बने: मुख्यमंत्री बने: योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस तहह से उत्तर प्रदेश में भाजपा 14 साल के बाद पूरी ताकत और बहुमत के साथ सत्ता में लौटी। अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार बिना किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा— हमारी सरकार राज्य के विकास के लिए पूरी तरह कृतसंकल्पित है। राज्य सरकार उत्तर प्रदेश को विकास और खुशहाली के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ाने के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी उसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगी।