जब देश में सामान्य से दस प्रतिशत कम वर्षा होती है और देश के 20 प्रतिशत से अधिक हिस्से में सूखे की स्थिति हो तो सूखा वर्ष घोषित किय जाता है. 1987 के बाद 2002 को अखिल भारतीय सूखा वर्ष घोषित किया गया.
आमतौर पर सूखा तीन तरह का होता है जिसमें मौसमी सूखा (Meteorological drought), जलीय सूखा (Hydrological drought) तथा कृषि सूखा (Agricultural drought) शामिल है. मौसमी सूखा उसे कहते हैं जब किसी इलाके विशेष में पर्यावरणीय जरूरत के हिसाब से कम बारिश होती है.
कई बार देश भर में सामान्य मानसून के बावजूद कई इलाके इस तरह के सूखे की चपेट में आते हैं. जलीय सूखा भूमितगत जल स्तर में कमी आना है. कृषि सूखे से तात्पर्य मृदा की नमी में कमी से है जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है.