सुपर ओवर (Super Over) का इस्तेमाल मुख्य रूप से इन दिनों मुख्य रूप से टी20 प्रतियोगिता में अनिर्णित टाई रहे मैचों का फैसला करने के लिए होता है. इस तरह के सुपर ओवर को एलिमिनेटर (Eliminator) या वन ओवर पर साइड एलिमिनेटर (one-over-per-side eliminator) भी कहा जाता है.
उदाहरण के रूप में अगर किसी मैच में अ टीम ने पहले खेलते हुए 9 विकेट पर 190 रन बनाए और जवाब में ब टीम भी तय ओवरों में 190 रन ही बना सकी तो मैच टाई हो गया. इस हालत में विजेता का फैसला करने के लिए सुपर ओवर का इस्तेमाल किया जाता है. सुपर ओवर में दोनों टीमों को एक ओवर और दो विकेट मिलते हैं. यानी अ टीम को एक ओवर मिलेगा और उसके पास दो विकेट होंगे यानी कुल मिलाकर तीन बल्लेबाज क्रीज पर आ सकते हैं.
सुपर ओवर में जीती किंग्स इलेवन
आधिकारिक रूप से मैच ‘टाई’ रहेगा लेकिन सुपर ओवर की विजेता टीम विजेता ही रहेगी. अंक पाने या प्रतियोगिता के अगले दौर में जाने का मौका उसे ही मिलेगा. हालांकि सुपर ओवर में बने रन बल्लेबाज के रिकार्ड में नहीं जाएंगे.
सुपर ओवर की शुरुआत 2008 में टी20 क्रिकेट में हुई. इसेस पहले बाल-आउट तरीके का इस्तेमाल किया जाता था. एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इसकी शुरुआत 2011 में हुई. हालांकि अभी किसी बड़ी प्रतियोगिता में इसके इस्तेमाल की नौबत नहीं आई है. इस तरीके की आलोचना भी हुई और आलोचकों का कहना है कि इस तरीके का इस्तेमाल केवल ‘नाकआउट’ या फाइनल मैचों में ही किया जाना चाहिए.
आठवीं आईपीएल 2015 के दौरान राजस्थान रायल्स व किंग्स इलेवन पंजाब का मैच भी सुपर ओवर तक पहुंचा. इसमें अंतत: किंग्स इलेवन विजेता रही. अब तक कुल सात मैच ही टाइ होकर सुपर ओवर तक पहुंचे हैं। 2017 की आईपीएल के 35वें मैच में मुंबई इंडियंस ने गुजरात लायंस को हरा दिया।