मिशन इंद्रधुनष (mission indradhanush) भारत सरकार का शिशु टीकाकरण कार्यक्रम है. मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य साल 2020 तक यह सुनिश्चित करना है कि कम से कम 90 प्रतिशत बच्चों का उन सात रोगों के लिए टीकाकरण हो गया हो जिनका बचाव टीकाकरण से किया जा जा सकता है. इन सात टीका निवारणीय रोगों में डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा और हैपेटाइटिस बी शामिल हैं.
इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरुआत 25 दिसंबर 2014 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने की थी. मिशन इंद्रधनुष में दरअसल इंद्रधनुष के सातों रंगों को दर्शाया गया है.
इस मिशन के तहत पहले चरण में ‘ज्यादा फोकस’ वाले 201 जिलों में टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा. इनमें से 82 जिले केवल चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में ही हैं. भारत में ‘बिना टीकाकरण’ एवं ‘आंशिक टीकाकरण’ वाले जितने भी बच्चे हैं, उनमें से तकरीबन 25 फीसदी इन चारों राज्यों के इन्हीं 82 जिलों में रहते हैं. इसी तरह दूसरे चरण में 297 जिलों को लक्षित किया जाएगा.
मिशन इंद्रधनुष के बारे में जागरुकता के लिए मीडिया अभियान 23 मार्च 2015 को शुरू हुआ. इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने सूचित किया कि वर्ष 2009 से वर्ष 2013 के बीच टीकाकरण का दायरा 61 फीसदी से बढ़कर 65 फीसदी हो गया. इसका मतलब यही है कि हर साल टीकाकरण के दायरे में महज 1 फीसदी की ही वृद्धि हो पाई.
नड्डा ने कहा कि हर साल पांच फीसदी या इससे भी ज्यादा बच्चों को इसके दायरे में लाते हुए टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ‘मिशन मोड’ को अपनाया गया है ताकि वर्ष 2020 तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य हासिल किया जा सके.