तीसरे विश्व कप को भारतीय टीम के प्रदर्शन के लिहाज से याद रखा जाएगा. इस कप को जीतकर भारतीय टीम ने क्रिकेट खेल की दशा व दिशा बदल दी. इसके बाद भारत व भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट किस तरह से लोकप्रिय हुआ और एक नये धर्म के रूप में उबरा यह इतिहास में दर्ज है.
इंग्लैंड ने लगातार तीसरी बार विश्व कप की मेजबानी की और इस बार भी कप का नाम प्रूंडेशियल कप ही था. कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय टीम तब क्रिकेट पंडितों की भविष्यवाणियों को झुठलाकर विश्व चैंपियन बनी थी. श्रीलंका को तब तक टेस्ट दर्जा मिल गया था जबकि जिम्बाब्वे ने आईसीसी ट्राफी जीतकर विश्व कप में खेलने का हक पाया था. इसी विश्व कप के दौरान क्षेत्ररक्षण में 30 गज के घेरे की शुरुआत हुई थी. पूरी पारी के दौरान इस घेरे में चार क्षेत्ररक्षकों को रखना अनिवार्य था.
सभी विश्वकपों का ब्यौरा यहां पढें.
विश्व कप में टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया लेकिन पहली बार लीग चरण में टीमों का दो बार आपस में आमना सामना हुआ. भारत ने अपने पहले मैच में ही वेस्टइंडीज को 34 रन से हराकर बाकी टीमों को आगाह कर दिया था कि उसे कम करके आंकना भूल होगी. भारत ने अगले मैच में जिम्बाब्वे को पांच विकेट से हराया लेकिन आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से हारने से उसके लिये जिम्बाब्वे के खिलाफ अगला मैच जीतना जरूरी हो गया था. टनब्रिज में खेले गये इस मैच में भारत ने पांच विकेट 17 रन पर गंवा दिये थे लेकिन कपिल देव ने नाबाद 175 रन की रिकार्ड पारी खेलकर टीम को 31 रन से जीत दिला दी थी. भारत इसके बाद आस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा.
कपिल के धुरंधरों ने सेमीफाइनल में इंग्लैंड को छह विकेट से पराजित किया जबकि दूसरे सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को हराया. वेस्टइंडीज लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंचा था और जब उसने भारतीय टीम को 183 रन पर समेट दिया तो उसकी खिताबी हैट्रिक तय मान ली गयी. भारत ने हालांकि वेस्टइंडीज को 140 रन पर ढेर करके 43 रन से जीत दर्ज की थी. मोहिंदर अमरनाथ सेमीफाइनल के बाद फाइनल में भी मैन आफ द मैच बने थे.