अघोषित विदेशी आय व आस्ति (कर अधिरोपण) विधेयक 2015 [Undisclosed Foreign Income and Assets (Imposition of Tax) Bill, 2015] केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2015 को संसद में पेश किया. इसे पेश करते हुए सरकार ने उम्मीद जताई कि यह नया कानून मजबूत निवारक के रूप में काम करेगा और भारतीयों द्वारा विदेशों में काला धन जमा करने की बुराई पर लगाम लगाएगा.
दरअसल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में वर्तमान कानून के तहत सीमाओं को स्वीकार करते हुए यह जानकारी दी थी कि काले धन विशेषकर विदेशों में जमा काले धन से निपटने के लिए सरकार ने एक व्यापक नया कानून बनाने का निर्णय लिया है. उन्होंने संसद के चालू सत्र में नया विधेयक पेश करने का भी वादा किया था. इसी के तहत सरकार ने यह विधेयक पेश किया.
इस विधेयक की मुख्य बातों पर चर्चा की जाए तो इसमें विदेशी आय और परिसंपत्तियों के संबंध में अघोषित आय के बारे में अलग कराधान का प्रावधान किया गया है. आगे से ऐसी आय पर आयकर अधिनियम के तहत कर नहीं लगाया जाएगा बल्कि प्रस्तावित नए विधेयक के कठोर प्रावधानों के तहत कर लगेगा.
विधेयक की मुख्य बातें इस तरह से हैं.
- 1. दायरा– यह अधिनियम देश में रहने वाले सभी व्यक्तियों पर लागू होगा. इस अधिनियम के प्रावधान अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां (किसी संस्था में वित्तीय हितों सहित) दोनों पर लागू होंगे.
- 2. कर की दर– अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियों पर 30 प्रतिशत की समान दर पर कर लगाया जाएगा. वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के अधीन स्वीकार्य किसी छूट या कटौती या आगे ले जाने वाली हानियों को अलग रखने (सेट-ऑफ) की अनुमति नहीं दी जाएगी.
- 3. दंड– प्रस्तावित नए कानून के प्रावधानों के उल्लंघन पर कठोर दंड मिलेगा. भारत से बाहर आय और परिसंपत्ति की जानकारी न देने पर उस संपत्ति पर देय कर का तीन गुना अर्थात अघोषित आय या अघोषित परिसंपत्ति का 90 प्रतिशत कर देना होगा. यह कर 30 प्रतिशत देय कर से अलग होगा. विदेशी आय या परिसंपत्ति के बारे में रिटर्न जमा न करने पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. दंड की यही राशि उन मामलों में भी निर्धारित है जिनमें करदाता ने आय रिटर्न तो दाखिल किया है लेकिन उसने विदेशी आय या परिसंपत्ति की घोषणा नहीं की है या इसके बारे में गलत ब्यौरा जमा किया है.
- 4. अभियोजन– इस विधेयक में विभिन्न प्रकार के उल्लंघन करने पर सजा बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसमें विदेशी आय या भारत से बाहर संपत्ति होने के संबंध में कर प्रवंचना का जानबूझकर प्रयास करने के मामले में तीन साल से दस साल तक की कठोर सजा के दंड का प्रावधान है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा.
इसी तरह विदेशी परिसंपत्तियों, आय और बैंक खातों के संबंध में रिटर्न जमा न करने पर छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी. उन मामलों में भी इतनी ही सजा निर्धारित है जिनमें करदाता ने आय रिटर्न तो दाखिल किया है लेकिन विदेशी परिसंपत्ति की घोषणा नहीं की है या इसके बारे में गलत ब्यौरा जमा किया है. उपरोक्त प्रावधान ऐसी अवैध विदेशी परिसंपत्तियों से लाभान्वित होने वाले मालिकों या लाभार्थियों पर भी लागू होंगे. ऐसे कृत्य पर छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कठोर कारावास की सजा मिलेगी. यह प्रावधान विदेशी आय या निवासी भारतीयों की परिसंपत्तियों को छिपाने या झूठे दस्तावेजों में मदद करने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी लागू होगा. - 5. संरक्षण– स्वाभाविक न्याय कानून की उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों को इस अधिनियम में शामिल किया गया है जिसमें जिस व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई शुरू की जा रही है उसके लिए उसे नोटिस जारी करना अनिवार्य बनाने, उसे अपनी बात रखने का अवसर देने, उसके व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत सबूत को लेने की अनिवार्यता, कारणों को रिकार्ड करना, लिखित में आदेश देना, कर प्राधिकारी की विभिन्न कार्रवाइयों की समय सीमा आदि को इसमें शामिल किया गया है. इसके अलावा उस व्यक्ति के आगे अपील करने के अधिकार को संरक्षित किया गया है. वह कानून के महत्वपूर्ण सवालों पर आयकर अपीलीय पंचाट, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है. इसमें भूल या अज्ञानता के कारण थोड़ी राशि के विदेशी खाता रखने वाले व्यक्तियों की संरक्षा के लिए यह प्रावधान किया गया है कि वर्ष के दौरान कभी भी पांच लाख रुपए की अधिकतम राशि के बैंक खातों की जानकारी न देने पर जुर्माना या सजा नहीं मिलेगी.
- 6. एक बार अनुपालन अवसर– यह विधेयक उस व्यक्ति को सीमित अवधि के लिए एक बार अनुपालन अवसर प्रदान करता है जिसके पास कोई अघोषित विदेशी परिसंपत्ति है जिसका आयकर के उद्देश्यों के लिए खुलासा नहीं किया गया है. ऐसा व्यक्ति निर्धारित अवधि में निर्दिष्ट कर प्राधिकारी के सामने एक घोषणा प्रस्तुत करेगा और उसके बाद 30 प्रतिशत की दर से और उसी के बराबर राशि के जुर्माने का भुगतान करेगा. ऐसे व्यक्तियों पर नए अधिनियम के कठोर प्रावधानों के अधीन मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. यह भी ध्यान रहे कि यह कोई माफी योजना नहीं है क्योंकि दंड में कोई छूट देने की पेशकश नहीं की गई है. यह केवल नए लागू हो रहे अधिनियम के कठोर प्रावधानों के सामने व्यक्तियों को स्वच्छ और अनुपालक बनने के लिए मात्र एक अवसर प्रदान करना है.
- 7. पीएमएलए का संशोधन-यह विधेयक कर प्रवंचना के अपराध को प्रस्तावित विधेयक के अधीन पीएमएलए के तहत एक अनुसूचित अपराध के रूप में शामिल करने के लिए मनी लांड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए), 2002 को संशोधित करने का प्रस्ताव करता है.