आपको भारत के 2008 के आस्ट्रेलिया दौरे का पर्थ टेस्ट मैच याद होगा। सिडनी टेस्ट मैच में उठे विवाद के कारण दोनों टीमें बेहद तनावपूर्ण माहौल में इस मैच में खेल रही थी। रिकी पोंटिंग क्रीज पर थे और इशांत शर्मा उन्हें परेशान कर रहे थे लेकिन उन्हें विकेट नहीं मिल रही थी। तब कप्तान अनिल कुंबले ने उनकी जगह किसी दूसरे गेंदबाज को गेंद सौंपने का फैसला किया लेकिन तभी वीरेंद्र सहवाग ने हस्तक्षेप किया और इशांत को एक और ओवर देने का आग्रह किया। इसके बाद क्या हुआ वह इतिहास बन गया। इशांत ने इस ओवर में पोंटिंग को आउट किया और आखिर में यह मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। भारत ने मैच जीत लिया। यूं तो इशांत ने इससे आठ महीने पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण कर चुके थे लेकिन उन्हें असली पहचान पर्थ टेस्ट मैच के प्रदर्शन से ही मिली। इसके बाद तो स्टीव वॉ ने भी उनकी तारीफ में कसीदे कस दिये थे।
इशांत को इसका फायदा आईपीएल में मिला जब कोलकाता नाइटराइडर्स ने उन पर मोटी रकम खर्च की। लेकिन इसके बाद इशांत के प्रदर्शन में गिरावट आने लगी। जिस तेज गेंदबाज को जवागल श्रीनाथ की जगह लेने का सही दावेदार माना जा रहा था वह एकदम से साधारण लगने लगा। इसका सबसे बड़ा कारण आईपीएल और सीमित ओवरों के मैचों में रनों पर अंकुश लगाने के लिये आजमाये जाने वाले तरीके थे।
आस्ट्रेलिया में इशांत ने कुछ अवसरों पर 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी गेंदबाजी की थी लेकिन उनकी तेजी एकदम से गिरने लगी और इसका उनके प्रदर्शन पर भी प्रतिकूल असर पड़ा। वह यहां तक कि विश्व कप 2011 की टीम में भी जगह नहीं बना पाये। इस बीच उन्हें चोटों से भी जूझना पड़ा। यह इशांत का सौभाग्य था कि इस बीच भारत को कोई ऐसा तेज गेंदबाज नहीं मिला जो कि लगातार अच्छा प्रदर्शन कर पाये। इस वजह से इशांत को जब तक मौका मिलता रहा। टेस्ट मैचों में वह अक्सर विकेट लेने के लिये तरसते रहे। इसका उनके गेंदबाजी औसत पर प्रतिकूल असर पड़ा। इशांत ने अब तक 61 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें उन्होंने 37.30 की औसत से 187 विकेट लिये हैं।
इशांत अभी भारतीय क्रिकेट टीम में सबसे अनुभवी गेंदबाज हैं और इसलिए उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। जवागल श्रीनाथ ने 2003 और जहीर खान ने 2011 के विश्व कप में जिस तरह अपने साथी गेंदबाजों के लिये ‘मेंटर’ की भूमिका निभायी थी वहीं काम इशांत को आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में करना होगा। महेंद्र सिंह धौनी संभवत: उनका उपयोग तीसरे गेंदबाज के रूप में करें और फिर मोहम्मद शमी के साथ डेथ ओवरों की जिम्मेदारी उन्हें सौंपे। इसके लिये इशांत को मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।
छह फुट चार इंच लंबे इशांत अपने ‘हाई आर्म एक्शन’ का फायदा उठाते रहे हैं। वह तेजी से गेंद को बाहर की तरफ निकालने में भी माहिर हैं और ऐसे में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की परिस्थितियों में उपयोगी साबित हो सकते हैं। उन्हें चोटों से भी बचना होगा। दो सितंबर 1988 को दिल्ली में जन्में इशांत ने विश्व कप से पहले तक 76 वनडे खेले जिनमें उन्होंने 106 विकेट लिये हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 34 रन देकर चार विकेट है।