जनाधिक्य

जनाधिक्य (overpopulation) की स्थिति, जिसे देश में निर्धनता के लिए एक बड़ा कारण बताया जाता है आने वाले वर्षो में देश की समृद्धि का महत्वपूर्ण कारक बन सकता है.

पिछले कई सालों में यह बात कही जा रही है कि अगर जनसांख्यिकी की इस विशिष्टता यानी बड़ी संख्या में श्रमबल की उपलब्धता का सही इस्तेमाल किया जाए तो भारत की आर्थिक वृद्धि में बड़ा योगदान कर सकती है. अन्यथा यह बड़ा संकट भी बन सकती है.

‘ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन’ ने अपनी एक रपट तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पेश की थी. इसमें कहा गया था कि अतिरिक्त श्रम शक्ति की मौजूदगी के चलते आने वाले वर्षो में भारत को ज्ञान आधारित सेवाओं के लिए वैश्विक राजधानी बनाया जा सकता है. इसके अनुसाार 2020 तक रोजगार के प्रतिवर्ष 4 करोड़ अवसर सृजित करके तथा इनका निर्यात करके जीडीपी में 200 अरब डॉलर की वृद्धि की जा सकेगी. ऐसे में अतिरिक्त जनसंख्या देश के लिए मददगार सिद्ध होगी.

रिपोर्ट के अनुसार विकसित राष्ट्रों में वृद्धजनों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ जन्मदर में आ रही कमी के चलते आने वाले वर्षों में श्रमशक्ति की कमी आएगी, जबकि सेवाओं की मांग में निरन्तर वृद्धि होगी. रपट का सार यही था कि ‘अधिक जनसंख्या, अधिक समृद्धि’

Author: sangopang

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