सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) समुद्र तल से करीब 5,753 मीटर (18,875 फुट)) ऊंचाई पर, हिमालय के काराकोरम रेंज के पूर्वी भाग मे स्थित है. इसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र माना जाता है और यह भारत व पाकिस्तान, दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि दोनों देश इसकी निगरानी, रखवाली के लिए सेनाओं पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करते हैं.
सियाचिन ग्लेशियर का तापमान शून्य से 70 डिग्री (-70) से भी कम होता है. भारतीय सेना की ओर से यहां सैनिकों की तैनाती सिर्फ तीन महीने के लिए की जाती है. ग्लेशियर में 150 भारतीय पोस्ट हैं. इस पर रोजाना 15 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आता है. 1972 के शिमला समझौते के तहत सियाचीन के एनजे-9842 नामक स्थान को सीमा माना गया.
भारत ने 1985 आपरेशन मेघदूत के जरिए एनजे-9842 के उत्तरी हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया. यह वाटरशेड है यानी इससे आगे लड़ाई नहीं होगी. वैसे भारतीय सेना का बेस कैंप सियाचिन ग्लेशियर से लगभग 72 किलोमीटर नीचे जिंगरूलमा में है.
सियाचिन दो शब्दों से मिलकर बना है. सिया शब्द का अर्थ बाल्टी भाषा में गुलाब परिवार के फूलों से होता है. चेन माने प्रचुरता तो सियाचेन का मतलब ऐसी भूमि जहां गुलाब प्रचुरता में हों. हालांकि अभी ऐसा कुछ यहां है नहीं और चारों तरफ बर्फ बिखरी है.