स्टुअर्ट बिन्नी

विश्व कप के लिये जो 15 सदस्यीय टीम चुनी गयी उसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम स्टुअर्ट बिन्नी का था। बिन्नी के पिता और पूर्व भारतीय आलराउंडर रोजर बिन्नी चयन समिति के सदस्य ​हैं और यही मान लिया गया कि बेटे के चयन में पिता की भूमिका अहम रही। रोजर ने हालांकि साफ किया था कि जब स्टुअर्ट का नाम चर्चा में आया तो वह बैठक से उठकर बाहर आ गये थे। बिन्नी के चयन पर बहस लाजिमी थी क्योंकि कर्नाटक के इस आलराउंडर ने तब तक केवल छह वनडे मैच खेले थे और जिनमें विशेषकर महेंद्र सिंह धौनी ने कप्तान रहते हुए उनका सही उपयोग नहीं किया था।

एक उदाहरण पिछले साल हैमिल्टन में खेले गये वनडे मैच का ले सकते हैं। इस मैच में बिन्नी को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। धौनी ने उनके बजाय आर अश्विन को पहले बल्लेबाजी के लिये भेज दिया था। इसके बाद बिन्नी से केवल एक ओवर की गेंदबाजी करवायी गयी जिसमें उन्होंने आठ रन दिये थे। इसके उलट अंबाती रायुडु को तीन ओवर दिये गये थे। हाल में त्रिकोणीय श्रृंखला में पर्थ में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में बिन्नी भारत के सबसे सफल गेंदबाज रहे लेकिन धौनी ने उनसे ओवर का कोटा पूरा नहीं करवाया। क्या धौनी अब भी उन पर विश्वास नहीं करते। यदि इसका जवाब हां में है तो फिर विश्व कप से पहले यह अच्छे संकेत नहीं हैं। उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा। सुनील गावस्कर के शब्दों में, ”लगता है कि धौनी में आइडियाज की कमी हो गयी है। ”

गावस्कर पहले पूर्व क्रिकेटर थे जिन्होंने बिन्नी के चयन पर कतई हैरानी नहीं जतायी थी। उनका मानना था कि कर्नाटक के इस आलराउंडर की सीम गेंदबाजी आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचों पर कारगर साबित होगी। इसके अलावा वह निचले क्रम में जरूरत पड़ने पर रन भी बना सकते हैं। त्रिकोणीय श्रृंखला के कुछ मैचों में उनकी यह बात सही साबित भी हुई। इंग्लैंड के खिलााफ ब्रिस्बेन में जब चोटी के बल्लेबाज नहीं चल पाये थे तब बिन्नी ने सर्वाधिक 44 रन बनाये और बाद में भारत की तरफ एकमात्र विकेट लिया। इसी टीम के खिलाफ पर्थ में उन्होंने गेंदबाजी का आगाज करते हुए आठ ओवर में 33 रन देकर तीन विकेट लिये थे।

बिन्नी की खासियत यह है कि वह ‘विकेट टु विकेट’ गेंदबाजी करते हैं और बल्लेबाज को खुलकर खेलने के लिये जगह नहीं देते हैं। बिन्नी ने खुद को सीमित ओवरों के विशेषज्ञ के तौर पर स्थापित किया है लेकिन बीच इंडियन क्रिकेट लीग के जुड़ने के कारण उनका करियर डांवाडोल भी हो गया था। उन्हें पिछले साल इंग्लैंड में तीन टेस्ट खेलने का मौका भी मिला लेकिन गेंदबाज के रूप में उनका भरपूर उपयोग नहीं किया गया जिसके कारण अब भी बिन्नी को अपने पहले टेस्ट विकेट की दरकार है।

बिन्नी 30 वर्ष के हैं लेकिन उन्हें अब तक केवल नौ वनडे खेलने का मौका मिला है। इनमें उन्होंने 18.20 की औसत से 91 रन बनाये हैं और 14.15 की औसत से13 विकेट लिये हैं। उनका इकोनोमी रेट 4.52 है। जाहिर है कि बल्लेबाजों को उनकी सटीक गेंदबाजी पर रन बनाने में परेशानी होती है। बिन्नी का वनडे में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चार रन देकर छह विकेट है जो उन्होंने पिछले साल बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में किया था। बिन्नी भी पहली बार विश्व कप में भाग लेंगे। उनके पिता रोजर बिन्नी ने 1983 विश्व कप में 17 विकेट लेकर भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभायी थी। उम्मीद है कि स्टुअर्ट अपने पिता के इस प्रदर्शन से प्रेरणा लेंगे। वह भारत की तरफ से विश्व कप में खेलने वाली पिता पुत्र की पहली जोड़ी भी होगी।

Author: sangopang

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