भारतीय सिनेमा की चुनिंदा महिला निर्देशकों में से एक कल्पना लाज़मी सामानांतर सिनेमा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती हैं. वर्ष 1993 में प्रदर्शित हुई उनकी फिल्म (rudaali) रुदाली प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी की एक लघु कथा पर आधारित है. फिल्म के स्क्रीनप्ले और संवाद लिखे गुलज़ार ने.
” रुदाली ” राजस्थान में प्रचलित एक प्रथा पर आधारित थी जिसमे अमीर और रसूखदार व्यक्ति अपनी मौत पर रोने के लिए पेशेवर मातम मनाने वाले लोगों को अनुबंधित करते थे. बॉक्स ऑफिस पर तो फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पायी पर कला की पारखियों ने फिल्म की भूरि-भूरि प्रशंसा की. फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में थे राज बब्बर, डिम्पल कपाडिया, राखी, अमजद खान, रघुवीर यादव, सुष्मिता मुखर्जी, मनोहर सिंह और मीता वशिष्ठ.
फिल्म का संगीत असमिया संगीत के दिग्गज भूपेन हजारिका का था और गीत लिखे गुलज़ार ने. इन दो महारथियों ने यादगार गीतों की रचना की. ” दिल हूम हूम करे “, ” झूठी मूठी मितवा ” और ” समय धीरे चलो ” जैसे गीत भारतीय फिल्म संगीत की अनमोल थाती हैं. फिल्म में अपनी लाजवाब अदाकारी के लिए डिम्पल कपाडिया को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर (क्रिटिक्स अवार्ड) प्राप्त हुआ. इसके साथ साथ फिल्म को कला निर्देशन (समीर चंदा) और वस्त्र सज्जा (सिम्पल कपाडिया) के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ.
कल्पना लाज़मी का निर्देशन काबिले तारीफ़ है. शानदार अभिनय , हजारिका का जादुई संगीत और फिल्म के संवाद और कहानी सब मिलकर ” रुदाली ” को एक दर्शनीय फिल्म बनाते हैं.