सलाम बांबे

मीरा नायर की गिनती उन फिल्मकारों में होती हैं जिन्होंने विश्व मंच पर भारतीय सिनेमा को पहचान दिलाई है. वर्ष 1988 में प्रदर्शित उनकी फिल्म सलाम बाम्बे (salaam Bombay)  ने उनकी इस प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए.  मुंबई की सड़कों और झोंपडपट्टी में जिन्दगी बिताने वाले बच्चों की कारुणिक दशा को मीरा नायर ने बेहद ईमानदारी के साथ परदे पर उतारा है. फिल्म की कहानी मीरा नायर और सोनी तारपोरवाला ने लिखी.

फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले अधिकतर मुंबई और अन्य शहरों के झुग्गी झोंपड़ी में रहने वाले बच्चे थे. शफीक सैयद, हंसा विट्ठल, चंदा शर्मा, राजू बर्नाड, चन्द्रशेखर नायडू, सरफुदीन कुरैशी, और मोहन बाबू जैसे का साथ दिया नाना पाटेकर, रघुवीर यादव, अनीता कँवर और संजना कपूर जैसे स्थापित कलाकारों ने. फिल्म का संगीत प्रख्यात संगीतकार एल. सुब्रमनियम ने दिया.

फिल्म समीक्षकों को बेहद पसंद आई और फिल्म को कई  अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पुरस्कार प्राप्त हुए. कांस फिल्म समारोह में इसे दर्शकों द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म चुना गया और मीरा नायर ने ” गोल्डन कैमरा अवार्ड ” अपने नाम किया. फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म और सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार (शफीक सैयद) के पुरस्कार अपनी झोली में डाले.

मोंट्रियल फिल्म समारोह में ” सलाम बॉम्बे ” को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ. भारत के और से फिल्म को ऑस्कर पुरस्कारों के लिए देश की आधिकारिक प्रविष्टि के लिए चुना गया और यह ” मदर इंडिया ” के बाद विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए नामांकित होने वाली दूसरी फिल्म बनी. एक बेहतरीन और यादगार फिल्म जिसे दर्शक कभी नहीं भूल पायेंगे.

Author: sangopang

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