अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना (यूएमपीपी) उन बिजली परियोजनाओं को कहा जाता है जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 4,000 मेगावाट की होती है. इस तरह की परियोजनाओं में प्राय: 800 मेगावाट क्षमता की पांच सुपर क्रिटिकल इकाइयां होती हैं.
देश की पहली ऐसी इकाई मुंद्रा, गुजरात में टाटा पावर ने जनवरी 2012 में शुरू की. इन परियोजनाओं के लिए नोडल एजेंसी का काम बिजली वित्त निगम यानी पीएफसी को दिया गया है.
निगम ने अब तक चार परियोजनाएं आवंटित की है जिनमें मुंद्रा की टाटा पावर को, सासन (मध्यकप्रदेश), कृष्णाुपट्टनम (आंध्रप्रदेश) व तिलैया (झारखंड) की रिलायंस पावर को दी गई है.सरकार की कुल 16 यूएमपीपी की योजना फिलहाल है.
सरकार ने यूएमपीपी के लिए मानक बोली दस्तावेज तैयार करने की दिशा में कदम उठाते हुए जनवरी 2015 में पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की. उल्लेखनीय है कि बिजली मंत्रालय ने यह कदम ऐसे समय में उठाया जबकि निजी कंपनियां बोली दस्तावेजों पर आरोप लगाते हुए यूएमपीपी बोली प्रक्रिया से हट गई थीं जिसके बाद सरकार को तमिलनाडु व ओड़िसा में प्रस्तावित यूएमपीपी की बोली प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी. इसकी दौड़ में केवल सरकारी कंपनियां ही रहीं थी.
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