केदारनाथ अग्रवाल का जन्म एक अप्रैल 1911 को उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के कमासिन गाँव में हुआ था. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान उन्होंने लेखन की ओर कदम बढाया थ. प्रयाग के साहित्यिक परिवेश का भी उनके रचनाकर्म पर गहरा असर रहा. उनका पहला कविता संग्रह ”फूल नहीं रंग बोलते है’ परिमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था. उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकें हैं – युग की गंगा, नींद के बादल, लोक और आलोक, आग का आइना, पंख और पतवार, अपूर्वा, बोले बोल अनमोल, आत्म गंध आदि . अपनी कविताओं में जनसंघर्षों को स्वर देने वाले केदारनाथ अग्रवाल ने ‘ हे मेरी तुम’ में कुछ आत्मीय कविताएं भी लिखी हैं-
एक खिले फूल से
झाड़ी के एक खिले फूल ने
नीली पंखुरियों के
एक खिले फूल ने
आज मुझे काट लिया
ओठ से,
और मैं अचेत रहा
धूप में”
उनकी कई कृतियों का अंग्रेजी, रूसी और जर्मन भाषा में अनुवाद हो चुका है. केदार शोधपीठ की ओर से हर साल एक साहित्यकार को उसके लेखन के लिए ‘केदार सम्मान’ से सम्मानित किया जाता है. कविता संग्रह ‘अपूर्वा’ के लिए 1986 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है. इसके अलावे उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, हिंदी संस्थान पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार आदि प्राप्त हो चुके हैं.