शमशेर बहादुर सिंह का जन्म 13 जनवरी 1911 को देहरादून में हुआ था. उनका मूल निवास उत्तर प्रदेश, मुजफ्फरनगर का एलम ग्राम था. उनके पिता का नाम तारीफ सिंह और माता परम देवी थीं. उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून तथा प्रयाग में हुई. गजानन माधव मुक्तिबोध की तरह ये भी प्रयोगवाद और नई कविता के कवियों में शुमार किए जाते हैं.
कुछ कविताएँ (1959), कुछ और कविताएँ (1961), चुका भी हूँ मैं नहीं (1975), इतने पास अपने (1980), उदिता: अभिव्यक्ति का संघर्ष (1980), बात बोलेगी (1981), काल तुझसे होड़ है मेरी (1988) इनके कविता संग्रह हैं. 1977 में “चुका भी हूँ मैं नहीं ” के लिये इन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजा जा चुका है. इसेक अलावा इन्हें ‘कबीर सम्मान’ तुलसी पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार आदि से भी सम्मानित किया जा चुका है. शमशेर के प्रिय कवि निराला थे. उन्हें याद करते हुए वे लिखते हैं-
”भूल कर जब राह- जब-जब राह.. भटका मैं
तुम्हीं झलके हे महाकवि,
सघन तम की आंख बन मेरे लिए’.”
करीब 18 साल की उम्र में शमशेर का विवाह धर्मवती जी से हुआ था. विवाह के छह साल बाद टीबी से उनकी मृत्यु हो गयी थी.युवा शमशेर पर वाम विचारधारा और प्रगतिशील साहित्य का स्पष्ट प्रभाव था. अपनी एक कविता में वे लिखते भी हैं – ‘वाम-वाम दिशा समय साम्यवादी’.