प्रत्याभूत या प्रतिभूतिकृत ऋणपत्र या सिक्योरड डिबेंचर (secured debenture) को अधिक सुरक्षित माना जाता है कि क्योंकि ऐसे ऋणपत्रों या हुंडियों में जारी करने वाली कंपनी की संपत्ति का प्रभाव होता है. इसलिए इन्हें अधिक सुरक्षित माना जाता क्योंकि इनका भुगतान सुरक्षित होता है.
ये डिबेंचर दो प्रकार के चल प्रभाव तथा निश्चित प्रभाव के होते हैं. चल प्रभाव की स्थिति में किसी निश्चित संपत्ति पर प्रभाव नहीं होता बल्कि केवल कंपनी के समापन की स्थिति में इन डिबेंचरों को भुगतान में प्राथमिकता मिलती है.
निश्चित प्रभाव की स्थिति में डिबेंचरों का कंपनी की किसी निश्चित सम्पत्ति में प्रभाव होता है. ऐसी संपत्ति को कंपनी न तो बेच सकती है और न ही हस्तांतरित कर सकती है.