आमतौर पर कंपनियां कर्ज का स्थाई बंदोबस्त होने तक धन की फौरी व्यवस्था ब्रिज लोन (Bridge Loan) के जरिए ही करती हैं. इसे हम अल्पकालिक कर्ज भी कह सकते हैं.
कंपनियां अपनी पूंजी बढाने के लिए नए शेयर तथा डिबेंचर्स जारी करती हैं. इस प्रक्रिया में समय लगता है और इस दौरान वे अपना काम जारी रखने के लिये बैंकों से अंतरिम अवधि का ऋण लेती हैं. यह रिण भी ब्रिज लोन के मद में आता है.
ब्रिज लोन को अल्पकालिक ऋण, अंतरिम फिनांसिंग व स्विंग लोन भी कहा जाता है.