राजस्व प्राप्ति व पूंजी प्राप्ति में अंतर

सरकार की राजस्व प्राप्ति में उस आय को रखा जाता है जिसका संबंध उसी वित्‍तवर्ष से हो. इसलिए इसे चालू खाता भी कहा जाता है. इस खाते में आय के उन स्त्रोतों को शामिल किया जाता है जिनके बदले में कोई भुगतान नहीं करना होता. इनमें करों से प्राप्त आय, सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा अर्जित लाभ, सरकारी उधारों पर ब्याज तथा गैर-कर आय शामिल है. यानी राजस्व प्राप्ति से सरकार की देनदारी नहीं बढ़ती.

वहीं आय के उन समस्त स्रोतों या साधनों को पूंजी प्राप्ति मद में रखा जाता है जिनके बदले सरकार को भुगतान करना आवश्यक हो. सबसे बड़ी बात यह कि यह भुगतान उसी वित्‍त वर्ष में न होकर किसी आगामी वित्‍त वर्ष में किए जाते हैं. इसे पूंजी खाता भी कहा जाता है.

प्रकृति के हिसाब से बात की जाए तो राजस्‍व प्राप्ति अल्‍पकालिक होती है जबकि पूंजी प्राप्ति दीर्घकालिक होती है.

Author: sangopang

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