साहित्यिक पत्रिका कथादेश के जून-2012 अंक में शालिनी माथुर ने एक आलेख ‘व्याधि पर कविता या कविता की व्याधि’ लिखा. इस आलेख में उन्होंने अनामिका और पवन करण की स्तन विषय वाली कविता पर टिप्पणी की थी. इससे लंबी बहस शुरू हो गई. कथादेश के जुलाई अंक में ही विशेषकर इसी मुद्दे को लेकर टीका टिप्पणी रही. अनामिका का लंबा चौड़ा खत भी छपा. सोशल मीडिया में इस पर खूब चर्चा हुई.
पवन करण की कविता स्तन है जबकि अनामिका ने ब्रेस्ट कैंसर लिखी है.
स्तन- पवन करण
- इच्छा होती तब वह उन के बीच धंसा लेता अपना सिर
- और जब भरा हुआ होता तो तो उन में छुपा लेता अपना मुंह
- कर देता उसे अपने आंसुओं से तर
- वह उस से कहता तुम यूं ही बैठी रहो सामने
- मैं इन्हें जी भर के देखना चाहता हूँ
- और तब तक उन पर आँखें गडाए रहता
- जब तक वह उठ कर भाग नहीं जाती सामने से
- या लजा कर अपनी हाथों में छुपा नहीं लेती उन्हें
- अन्तरंग क्षणों में उन दोनों को
- हाथों में थाम कर वह उस से कहता
- ये दोनों तुम्हारे पास अमानत हैं मेरी
- मेरी खुशियाँ , इन्हें सम्हाल कर रखना
- वह उन दोनों को कभी शहद के छत्ते
- तो कभी दशहरी आमों की जोड़ी कहता
- उन के बारे में उसकी बातें सुन सुन कर बौराई —
- वह भी जब कभी खड़ी हो कर आगे आईने के
- इन्हें देखती अपलक तो झूम उठती
- वह कई दफे सोचती इन दोनों को एक साथ
- उसके मुंह में भर दे और मूँद ले अपनी आँखें
- वह जब भी घर से निकलती इन दोनों पर
- दाल ही लेती अपनी निगाह ऐसा करते हुए हमेशा
- उसे कॉलेज में पढ़े बिहारी आते याद
- उस वक्त उस पर इनके बारे में
- सुने गए का नशा हो जाता दो गुना
- वह उसे कई दफे सब के बीच भी उन की तरफ
- कनखियों से देखता पकड़ लेती
- वह शरारती पूछ भी लेता सब ठीक तो है
- वह कहती हाँ जी हाँ
- घर पहुँच कर जांच लेना
- मगर रोग , ऐसा घुसा उस के भीतर
- कि उन में से एक को ले कर ही हटा देह से
- कोई उपाय भी न था सिवा इस के
- उपचार ने उदास होते हुए समझाया
- अब वह इस बचे हुए एक के बारे में
- कुछ नहीं कहता उस से , वह उस की तरफ देखता है
- और रह जाता है , कसमसा कर
- मगर उसे हर समय महसूस होता है
- उस की देह पर घूमते उस के हाथ
- क्या ढूंढ रहे हैं , कि इस वक्त वे
- उस के मन से भी अधिक मायूस हैं
- उस खो चुके के बारे में भले ही
- एक-द्दोसरे से न कहते हों वे कुछ
- मागत वह, विवश , जानती है
- उसकी देह से उस एक के हट जाने से
- कितना कुछ हट गया उन के बीच से