वाल्टर व्हिटमेन अमेरिकी कवि, निबंधकार व पत्रकार थे. उन्हें अमेरिका के 19वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली या महान कवियों में भी गिना जाता है. मुक्त छंद के प्रवर्तक रहे हैं. उनकी कृति घास की पत्तियां (लीव्ज आफ ग्रास) अपने समय का सबसे चर्चित और विवादास्पद काव्य संग्रह रहा है. अति सेक्सुयलिटी के कारण इसे अश्लीलता की श्रेणी में भी रखा गया.
लांग आइलैंड में 1819 में जन्मे व्हिटमेन ने पत्रकार से लेकर अध्यापक, सरकारी क्लर्क और स्वयंसेवी नर्स के रूप में काम किया. उन्होंने अपना काव्य संग्रह लीव्ज आफ ग्रास खुद के पैसे से छपवाया. उनकी एक और कृति फ्रेंकलिन इवनस (Franklin Evans; or The Inebriate) है.
व्हिटमेन की कविताओं के साथ साथ यौनिकता या सेक्सुयलिटी संबंधी अपनी सोच के कारण भी वे चर्चा में रहे. कुछ लोगों ने उन्हें उभयलिंगी व होमोसेक्सुअल तक बताया. उनका निधन न्यूजर्सी में 1892 में हुआ.
वैसे व्हिटमैन की कविताओं का हिंदी अनुवाद प्रकाशित ‘मैं इस पृथ्वी को कभी नहीं भूलूंगा’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ. इसका अनुवादन दिनेश्वर प्रसाद ने किया.
उनकी एक कविता है..
जब मैं तुम्हारी गोद में सिर रख कर लेता था कॉमरेड!
मैंने जो आत्मस्वीकृति की थी, मैंने जो तुमसे कहा था, वह
फिर से शुरु करता हूं,
मैं जानता हूं कि मैं अशांत हूं और दूसरों को अशांत कर देता हूं
मैं जानता हूं कि मेरे शब्द खतरनाक, प्राणान्तक हथियार हैं,
क्योंकि मैं शांति, सुरक्षा और सभी निश्चित नियमों
का सामना उन्हें अनिश्चित बनाने के लिए करता हूं,
(31 मई 1819- 26 मार्च 1892)