दुनिया में सबसे अधिक हथियार भारत आयात करता है. यह विदेशी हथियारों पर उसकी निर्भरता तथा बड़े रक्षा बजट का प्रतीक है.
वैश्विक संगठन सिपरी (Sipri) की सालाना रपट के अनुार 2010 से 2014 के बीच वैश्विक हथियार व सैन्य साजो सामान के आयात में भारत पहले स्थान पर रहा. इस दौरान वैश्विक सैन्य सामग्री के कुल आयात में भारत का हिस्सा 15 प्रतिशत रहा जो कि इसके निकटवर्ती देशों से कहीं अधिक है. वैसे भारत में हथियारों का सबसे ज्यादा आयात रूस से होता है. यानी वह अपनी कुल मांग में से लगभग 70 प्रतिशत हथियार रूस से लेता है.
वैश्विक सैन्य सामग्री आयात में चीन का हिस्सा केवल पांच प्रतिशत व पाकिस्तान का चार प्रतिशत है.
अगर सिर्फ एशिया में हथियारों के आयात की बात की जाए तो भारत का हिस्सा 34 प्रतिशत है जो कि चीन से तीन गुना अधिक है. और हां, हथियारों की खरीदारी करने वाले ज्यादातर देश एशिया में हैं. भारत हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार 15 प्रतिशत भागीदारी है तो दूसरे नंबर पर सउदी अरब और चीन पांच पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है. स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute) ने यह रपट 16 मार्च 2015 को जारी की. यह रपट सौंपे गए हथियारों की संख्या पर आधारित है न कि उनकी कीमत पर.
जहां तक निर्यात का सवाल है तो अमेरिका सबसे बड़ा निर्यातक देश है. उसके बाद रूस व चीन है. इस लिहाज से पांच शीर्ष देशों में जर्मनी व फ्रांस भी शामिल है. वैश्विक हथियार बाजार में आज भी अमेरिका की तूती बोलती है. परंपरागत हथियारों के कुल वैश्विक निर्यात में उसका हिस्सा करीब 31 फीसदी है. रूस का हिस्सा 27 प्रतिशत है. साल 2010 से 2014 के बीच विश्व भर में हथियारों के कारोबार में पिछले पांच सालों के मुकाबले करीब 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
लेकिन अमेरिका से हथियार खरीदने वाले देश अनेक हैं. अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा ग्राहक दक्षिण कोरिया है लेकिन अमेरिका के कुल निर्यात में उसका हिस्सा बहुत कम नौंवा है. अगर तीसरे नंबर पर रहे चीन की बात की जाए तो चीन के कुल हथियार निर्यात का 41 फीसदी तो अकेला पाकिस्तान ही खरीदता है. यानी चीन हथियारों का आयातक व निर्यातक दोनों है.