नक्सलवाद की पृष्ठभूमि पर लिखित प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी के बंगाली उपन्यास पर आधारित निर्देशक गोविन्द निहलानी की फिल्म ” हज़ार चौरासी की मां ” ( hazaar chaurasi ki maa) वर्ष 1998 में प्रदर्शित हुई. फिल्म का निर्माण गोविन्द निहलानी ने मनमोहन शेट्टी के साथ मिलकर किया. फिल्म की कहानी महाश्वेता देवी की थी और स्क्रीनप्ले लिखा खुद निहलानी ने. फिल्म के संवादों का जिम्मा उठाया त्रिपुरारी शर्मा ने.
“हज़ार चौरासी की मां” के जरिये जया बच्चन ने 18 वर्ष के अंतराल के बाद परदे पर दिखाई दी. फिल्म में उन्होंने एक नक्सली के मां की भूमिका निभाई जो पुलिस मुठभेड़ में मारा जाता है और उसके शव के नंबर 1084 के चलते उसे (जया बच्चन) को ” हज़ार चौरासी की मां ” कह कर पुकारा जाता है. फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई जया बच्चन, अनुपम खेर, जॉयसेन गुप्ता, सीमा बिस्वास, मिलिंद गुनाजी, नंदिता दास, भक्ति बर्वे, मोना अंबेगांवकर, संदीप कुलकर्णी, आदित्य श्रीवास्तव, यशपाल शर्मा और राजेश खेर ने. फिल्म में संगीत दिया दिब्याज्योति मिश्रा ने.
फिल्म को व्यावसायिक सफलता तो नहीं मिली पर समीक्षकों ने फिल्म को बेहद पसंद किया. फिल्म को सर्वश्रष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ. “हज़ार चौरासी की मां”, कलाकारों के उम्दा अभिनय, शानदार निर्देशन और एक बेहद सशक्त पटकथा के चलते एक बेहतरीन फिल्म बन पड़ी है.