सरकार ने स्वर्ण मौद्रिकरण योजना (gold monetization scheme) की घोषणा 28 फरवरी 2015 को आम बजट में की.
इस योजना का उद्देश्य सोने के बढते आयात पर काबू पाना और लोगों के पास यूं ही रखे हजारों टन सोने केो बाजार में लाना है. यह योजना स्वर्ण (gold deposit) जमा तथा स्वर्ण धातु ऋण योजना (gold metal loan Scheme) का स्थान लेगी. इस नई योजना के जरिए सोना जमा कराने वालों को उनके ‘धातु खातों’ पर ब्याज अर्जित करने की अनुमति होगी और आभूषण निर्माता अपने धातु खाते में कर्ज प्राप्त कर सकेंगे. बैंक तथा अन्य डीलर भी इस सोने को मौद्रीकरण कर सकेंगे.
वित्तमंत्री अरूण जेटली ने संसद में 2015-16 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि देश में 20,000 टन सोना पड़ा होने का अनुमान है. इसमें से ज्यादातर सोने का कोई इस्तेमाल नहीं होता. यानी न तो यह कारोबार में है न ही बाजार में. भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और हर साल 800 से 1,000 टन सोने का आयात होता है.
उन्होंने स्वर्ण मौद्रिकरण योजना (जीएमएस) का प्रस्ताव किया जो स्वर्ण जमा तथा स्वर्ध धातु ऋण योजनाओं का स्थान लेगी. इस नई योजना के जरिए स्वर्ण जमाकर्ताओं को उनके ‘धातु खातों’ पर ब्याज मिलेगा जबकि आभूषण निर्माता अपने धातु खाते में कर्ज प्राप्त कर सकेंगे. बैंक तथा अन्य डीलर भी इस सोने को मौद्रिकरण कर सकेंगे.
यह नयी योजना है और इसके दिशा निर्देश मई तक आने की संभावना है. उसके बाद ही इससे जुड़े नियम कानून आदि स्पष्ट हो सकेंगे.