शून्य आधारित बजट इसे नई शुरुआत करना भी कहा जा सकता है.
इसके तहत किसी विभाग या संगठन द्वारा प्रस्तावित खर्च की हर मद को बिलकुल नई मद मानकार या आधार शून्य मानते हुए फिर से मूल्यांकन किया जाता है. इसमें गत बजट की घटनाओं का कोई औचित्य नहीं होता. 1987-88 से केंद्र सरकार ने इसे सभी विभागों और मंत्रालयों में लागू करने का फैसला किया.