भारतीय क्रिकेट टीम में जब दिल्ली के दो धुरंधर सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर का डंका बजता था तब दिल्ली का ही एक और ओपनर शिखर धवन घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में अपना जलवा दिखा रहा था। लेकिन राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं होने के कारण एक समय लग रहा था कि उनका करियर भी घरेलू क्रिकेट में सिमट जाएगा। आखिर में नौ साल घरेलू क्रिकेट खेलने और प्रथम श्रेणी मैचों में 5000 से अधिक रन बनाने के बाद धवन को मार्च 2013 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका मिलता है और उन्होंने 187 रन ठोककर शानदार आगाज किया। इस बीच धवन ने 85 गेंदों पर शतक लगाकर पदार्पण टेस्ट में सबसे तेज सैकड़े का नया रिकार्ड बनाया।
सहवाग और गंभीर फार्म से जूझ रहे थे और धवन ने इसका पूरा फायदा उठाया। उन्हें इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्राफी में खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने रोहित शर्मा के साथ कामयाब सलामी जोड़ी बना डाली। धवन ने दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक भी जमाये। चैंपियन्स ट्राफी में उन्होंने 90.75 की औसत से 363रन बनाये। वह भारतीय क्रिकेट टीम के अहम अंग बन गये। न्यूजीलैंड की सरजमीं पर टेस्ट मैचों में उन्होंने 115 और 98 रन की दो पारियां खेलकर दिखा दिया कि वह किसी भी तरह की परिस्थितियों में रन बना सकते हैं।
लेकिन विश्व कप से पहले भारतीय टीम की सबसे बड़ी चिंता धवन बन गया है क्योंकि आस्ट्रेलियाई दौरे में उनका बल्ला कुंद पड़ा रहा। टेस्ट श्रृंखला में वह 81 रन की एक अच्छी पारी खेल पाये जबकि त्रिकोणीय श्रृंखला के चार मैचों में उनका स्कोर 2, 1, 8 और 38 रन रहा। उनकी इस फार्म को देखकर महान सुनील गावस्कर ने उनके बजाय रविचंद्रन अश्विन से पारी का आगाज कराने का सुझाव तक दे डाला। बहरहाल में वह अब भी धौनी की ‘गुडबुक’ में हैं और देखना होगा कि विश्व कप में मौका मिलने पर वह अपनी मूंछों पर फिर से ताव दे पाते हैं या नहीं। रिकार्ड के लिये बता दें कि धवन ने अब तक 53 वनडे मैचों में 42.75 की औसत से 2095 रन बनाये हैं जिसमें छह शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं। धवन का यह पहला विश्व कप होगा।