वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति करते हैं. आयोग पांच साल की अवधि के लिए सिफारिशें देता है और इसका मुख्य काम केंद्र-राज्यों के बीच करों की हिस्सेदारी तय करना है.
उल्लेखनीय है कि देश में कर लगाने का काम केंद्र तथा राज्य सरकारें दोनों करती हैं और दोनों के लिए कर लगाने व उनकी वसूली की प्रक्रिया /अधिकार क्षेत्र निश्चित है. केंद्र सरकार कुछ ऐसे कर लगाती व वसूलती है जिनका विभाजन होता है यानी उनका कुछ हिस्सा राज्यों को जाता है.
संविधान के अनुच्छेद-280 1 के प्रावधानों के तहत वित्त आयोग संवैधानिक व सांविधिक निकाय है. पहला वित्त आयोग 22 नवंबर 1951 को गठित हुआ. तेरहवें वित्त आयोग का गठन 2010-15 के लिए 2007 में विजय केलकर की अध्यक्षता में किया था. इसकी रपट 25 फरवरी 2010 को संसद पटल पर रखी गई.
चौदहवें वित्त आयोग का गठन एक जनवरी 2013 को रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी की अध्यक्षता में हुआ. इसने 16 दिसंबर 2014 को अपनी रपट राष्ट्रपति को सौंपी. इसकी सिफारिशें एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक है. इससे पहले तेलगांना व आंध्रप्रदेश सरकार के साथ विचार विमर्श के लिए आयोग का कार्यालय दो माह बढाया गया था.
सिफारिशें स्वीकार: केंद्र की राजग सरकार ने 25 फरवरी 2015 को 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार करने की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015—16 के आम बजट से कुछ ही दिन पहले यह घोषणा की. मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में कहा,’हमने खुले दिल से 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार ली हैं. हालांकि इससे केंद्र के वित्त प्रबंधन पर भारी दबाव पड़ेगा.’
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के मुताबिक मोदी ने कहा, ’14वें वित्त आयोग ने केंद्र सरकार के कर संग्रह में से राज्यों को मिलने वाली हिस्सेदारी में रिकार्ड 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।’ 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में बढ़ाई गई हिस्सेदारी के अनुसार राज्यों को 2014-15 में 3,48,000 करोड़ रुपए और 2015-16 में 5,26,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे.
इससे केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ा कर 10 प्रतिशत कर दी गई है. कुल मिलाकर बात की जाए तो केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है जो कि पहले 32 प्रतिशत था. इसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना था कि ‘केंद्र सरकार योजना और अनुदान आधारित मदद के स्थान पर अब हिस्सेदारी आधारित मदद का प्रावधान कर रही है. इसलिए विभाज्य संसाधनों का 42 प्रतिशत बंटवारा करेगी.’
इसी दिन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि ग्राम पंचायतों और नगर निकायों की मजबूती के लिए कुल कर का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को दिए जाने के अलावा 11 राज्यों को कुछ अतिरिक्त राशि भी आवंटित की गई है.
केंद्र के इस कदम पर राज्यों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. हरियाणा, छत्तीसगढ व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों ने जहां इस पर खुशी जताई वहीं बिहार ने इस पर नाराजगी व्यक्त की.
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पहली किस्त: केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग के निर्देशानुसार वित्तवर्ष 2015-16 के लिए विभिन्न राज्यों को हस्तांतरण (devolution) की पहली किस्त के रूप में 37,420 करोड़ रुपए अप्रैल 2015 के पहले सप्ताह में जारी किए.
विभिन्न राज्यों को आवंटित राशि का विवरण निम्न है:
क्र. सं. | राज्य | राशि करोड़ रु. में |
1 | आंध्र प्रदेश | 1616.78 |
2 | अरूणाचल प्रदेश | 516.48 |
3 | असम | 1242.76 |
4 | बिहार | 3624.37 |
5 | छत्तीसगढ़ | 1157.94 |
6 | गोवा | 141.51 |
7 | गुजरात | 1159.56 |
8 | हरियाणा | 406.10 |
9 | हिमाचल प्रदेश | 267.38 |
10 | जम्मू- कश्मीर | 577.63 |
11 | झारखंड | 1178.33 |
12 | कर्नाटक | 1770.46 |
13 | केरल | 937.15 |
14 | मध्य प्रदेश | 2835.75 |
15 | महाराष्ट्र | 2075.59 |
16 | मणिपुर | 231.27 |
17 | मेघालय | 240.75 |
18 | मिजोरम | 172.40 |
19 | नागालैंड | 186.68 |
20 | ओडिशा | 1743.46 |
21 | पंजाब | 590.88 |
22 | राजस्थान | 2065.79 |
23 | सिक्किम | 137.46 |
24 | तमिलनाडु | 1510.51 |
25 | तेलंगना | 915.85 |
26 | त्रिपुरा | 240.62 |
27 | उत्तर प्रदेश | 6735.81 |
28 | उतराखण्ड | 394.68 |
29 | पश्चिम बंगाल | 2746.91 |
कुल | 37,420.86 |