रामचंद्र गोपाल दादा साहेब तोरणे भारतीय फिल्म इतिहास के शुरुआती निर्माता निर्देशकों में शामिल हैं. यह अलग बात है कि भारतीय सिने इतिहास का उल्लेख करते समय उनकी चर्चा उनके काम की तुलना में बहुत कम होती है.
उन्हें भारतीय सिनेमा का जनक या भारतीय सिनेमा का पिता भी कहा जाता है. दरअसल उन्हीं ने भारतीय भाषा में फिल्में बनानीं शुरू कीं.
उनका जन्म कोंकण क्षेत्र के एक गांव में हुआ और तंगहाली में छोटी उम्र में ही वह मुंबई आ गए. यहां ग्रीव्स कॉटन कम्पनी में काम किया. जहां बिजली का सामान ठीक करना सीखे.
इसके बाद उन्होंने पुंडलिक फिल्म बनाई जो एक नाटक की रिकार्डिंग थी. वहां से कराची तबादला होने पर उन्होंने हालीवुड की फिल्मों के वितरण का काम किय और साझी कंपनी फेम्स पिक्चर्स बनाई. अर्देशिर ईरानी ने भारत की पहली बोलती फिल्म आलमआरा तोरणे की सलाह पर ही बनाई थी. तोरणे ने हिंदी मराठी की अनेक फिल्मों का निर्देशन किया.
‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ के 25 मई 1912 के अंक में प्रकाशित विज्ञापन में ‘पुंडलीक’ को भारत का पहला कथा-चित्र बताया गया था और ग्रीव्स कॉटन कम्पनी में काम करने वाले रामचंद्र गोपाल को उसका पहला निर्माता. यह अलग बात है कि आमतौर पर उनकी चर्चा कम ही होती है.