बचपन में जब रविचंद्रन अश्विन ने क्रिकेट का रूख किया तो उन्होंने सबसे पहले बल्ला थामा था। उनकी इच्छा भी चोटी का बल्लेबाज बनने की थी लेकिन धीरे धीरे वह फिरकी गेंदबाज बन गये और अपनी आफ स्पिन से बल्लेबाजों को परेशान करने लगे लेकिन वह बल्लेबाजी भी नहीं भूले हैं। अगर किसी खिलाड़ी के नाम पर 24टेस्ट मैच के करियर में दो शतक और चार अर्धशतक दर्ज हों तो आप यही कहेंगे कि वह बल्लेबाजी करने में माहिर है। सुनील गावस्कर जैसे क्रिकेट का गहरा ज्ञान रखने वाले विश्लेषक ने तो अश्विन को विश्व कप में पारी का आगाज करने के लिये भेजने की सलाह दे डाली है।
स्वाभाविक है कि वह भी तमिलनाडु के इस 28 वर्षीय क्रिकेटर की बल्लेबाजी काबिलियत से प्रभावित हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अश्विन को आलराउंडर क्यों न माना जाए। लेकिन अश्विन की मुख्य भूमिका आफ स्पिनर की है और उन्हें जरूरत पड़ने पर ही बल्लेबाजी का जिम्मा सौंपा जाएगा। यदि अश्विन का अंतिम एकादश में चयन होगा तो वह आलराउंडर के तौर पर नहीं बल्कि स्पिनर के रूप में होगा। इसलिए उनको स्पिनर की श्रेणी में रखना ही बेहतर रहेगा।
अश्विन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह हर दिन कुछ नया सीखना चाहते हैं। इसलिए आफ स्पिनर होते हुए भी उन्होंने कैरम बॉल का अभ्यास किया और धीरे धीरे उस पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल कर लिया। इसलिए कह सकते हैं कि अश्विन विविधतापूर्ण स्पिनर हैं तथा आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की परिस्थितियों में उनकी गेंदबाजी कारगर साबित हो सकती है। महेंद्र सिंह धौनी ने चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से एक गेंदबाज के रूप में अश्विन का बहुत अच्छा उपयोग किया। इसका अश्विन को भी फायदा मिला और वह देश दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों ही नहीं राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान भी अपनी तरफ खींचने में सफल रहे।
उन्होंने जून 2010 में अपना पहला वनडे खेला और फिर डेढ़ साल बाद टेस्ट क्रिकेट में भी पदार्पण कर दिया। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पदार्पण टेस्ट मैच में ही अश्विन ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की अनुकूल पिच पर नौ विकेट चटकाये। अपनी इस पहली टेस्ट श्रृंखला में उन्होंने 22 विकेट लिये और शतक भी जड़ने में सफल रहे थे। उन्होंने अब तक 24 टेस्ट मैचों में 1000 से अधिक रन बनाये हैं और 119 विकेट लिये हैं।
एकदिवसीय मैचों में अश्विन को भले ही बल्लेबाजी के अधिक मौके नहीं मिले हों लेकिन गेंदबाजी में उन्होंने पूरा कमाल दिखाया है। उन्होंने अब तक 88 वनडे मैच खेले हैं जिनमें उनके नाम पर 120 विकेट दर्ज हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 24 रन देकर तीन विकेट है। अश्विन विश्व कप 2011 की विजेता टीम के सदस्य भी थे जिसमें उन्हें केवल दो मैच खेलने का मौका मिला था। उन्होंने वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया के खिलाफ दो दो विकेट लिये थे। बल्लेबाजी में उन्हें केवल एक बार मौका जिसमें वह दस रन बनाकर नाबाद रहे थे। इस बार विश्व कप में अश्विन आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचों पर अपना प्रदर्शन सुधारने की भी कोशिश करेंगे। आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर उन्होंने अब तक आठ मैचों में आठ विकेट जबकि न्यूजीलैंड की धरती पर पांच मैचों में केवल एक विकेट लिया है। यही वजह है कि अंतिम एकादश में जगह के लिये उन्हें दूसरे स्पिनर अक्षर पटेल से कड़ी चुनौती मिल सकती है।